राजनीतिरायगढ़लेख

रायगढ़ – क्या बिन रोशन अंधकार से उबर पाएगी रायगढ़-भाजपा ?खलने लगी स्वर्गीय रोशन लाल की कमी…यूँ ही कोई ‘जननेता’ नहीं बन जाता….

रायगढ़ – बिन रोशन अंधकार से उबर पाएगी भाजपा ? उनके निधन के बाद यह सवाल कार्यकर्ताओ के मध्य खामोशी की मजबूत दीवार बन चुकी है। भाजपा में ऐसा क्या कुछ घटित हो रहा कि उनके निधन की बाद उनकी प्रासंगिकता महसूस होने लगी हैं.. लॉक डॉउन के दौरान भाजपा कार्यालय में प्रशासनिक दबिश से भाजपा की किरकिरी हुई। दबी जुबान से भाजपाई चर्चा कर रहे कि यदि रोशन लाल जीवित होते तो शायद प्रशासन , भाजपा कार्यालय में दबिश देने का साहस नही जुटा पाता। आज भाजपा जिस विशाल शून्य के मुहाने में खड़ी है ठोस रणनीति के अभाव में वहाँ से निकल पाना मुश्किल नजर आ रहा है।

मरणोपरांत स्व. रोशनलाल अग्रवाल की प्रथम जयंती पर आयोजित महा रक्तदान शिविर में जुटे हर वर्ग के लोग

सुभाष चौक में डिवाइडर लगाने का मामला हो या फिर ट्रैफिक अमले द्वारा दुपहिया वाहनों को लॉक किये जाने का मामला हो या फिर गांधी प्रतिमा के विस्थापन किये जाने का मामला हो सारंगढ में तहसीलदार द्वारा लॉक डॉउन के दौरान अवैध वसूली का मामला हो गरीबो की झोपड़ी तोड़े जाने का मामला हो निगम द्वारा घटिया सड़क निर्माण का मामला हो ..भाजपा ने मुखर विरोध की बजाय खामोशी की चादर ओढ़ना मुनासिब समझा। रोशन लाल की तर्ज पर की जाने वाली आक्रमक भूमिका भाजपा में नजर नही आ रही।

रोशन लाल का निधन भाजपा के लिए संघर्ष के युग की समाप्ति है। भाजपा की सत्ता रहने के बावजूद अधिकारियों से लड़ जाना रोशन लाल आदत में शुमार रहा। तोड़फोड़ ले मामले को लेकर तात्कालिक जिलाधीश अमित कटारिया से उनकी भिड़ंत ने आम जनमानस को इस कदर प्रभावित किया कि जनता ने उन्हें अगले विधान सभा चुनाव में ऐतिहासिक मतों से विजयी बना दिया। पहले लॉक डॉउन के दौरान वे स्वयं संक्रमित हुए । मास्क इस तरह बांटते रहे मानो कोई चलती फिरता वितरण केंद्र हो।
जिला भाजपा के अंदर चल रही बैठक के दौरान जिला प्रशासन द्वारा नोटिस दिए जाने के मामले में जब एक समथर्क से चर्चा की गई तो उसने स्वर्गीय रोशन लाल को याद करते हुए भीगी आंखों से कहा जिला भाजपा इतनी बेबश कभी नही रही…यदि रोशन लाल जीवित होते तो प्रशासनिक अमला जिला भाजपा कार्यालय में प्रवेश करने की हिम्मत नही जुटा पाता। रोशन लाल से जुड़े समर्थक ने बताया कि पहले लॉक डॉउन के बाद मंदिरों में जाने की अनुमति नही मिली थी।

गोगा मंदिर समिति ने मन्दिर खोले जाने का पत्र जिला प्रशासन को सौपा l लेकिन प्रशासन से कोई जवाब नही मिला l एक भक्त मंदिर में प्रवेश करने जा रहा था वहां मौजूद तात्कालिक तहसीलदार ने मंदिर जाने से भक्त को रोका इस दौरान रोशन लाल पहुँचे। रोशनलाल ने तहसीलदार को समझाने की कोशिश की और बताया कि समिति ने प्रशासन को पत्र लिख कर दिया है उनकीं ओर से कोई लिखित जवाब नही आया इसका आशय है कि कि प्रवेश न रोका जाए। रोशन लाल जी के इस तर्क पर तहसीलदार ने कहा कि आप कलेक्टर से बात के लीजिये जवाब सुनकर रोशन लाल जी का पारा गर्म हो गया क्रोधित होने पर पर उनकी आंखें लाल हुई और उंगली दिखाकर जोर से बोले कलेक्टर होगा तेरा” मौजूद लोग सहम गए और उनकी आक्रमकता की वजह से भक्तों को दर्शन का सौभाग्य मिला l उनके संघर्षों की वजह से जिला भाजपा ने शून्य से शिखर का तक सफर तय किया।

भाजपा से जुड़ा हर कार्यकर्ता उनकी कमी को महसूस कर रहा है। कोई दूजा रोशनलाल नही हो सकता l सड़क में चलते हुए रिक्शे वाले से लेकर महलों में रहने वालों से उनका मैन टू मैन संवाद रहा। जंगल मे शेर मर जाये तो फुर्तीले बंदर को कमान सौपे जाने से जंगल का ख़ौफ़ समाप्त होने का खतरा बना होता। सत्ता में रहने के बाद भी रोशन लाला विपक्षी ही रहे क्योकि वे गलत बातो के प्रबल विरोधी थे। उनके निधन के बाद भाजपा में बहुत से दावेदार हो गए..लेकिन यह न भूले कि सत्ता की मलाई खाने के पहले संघर्षों की कंटीली राह तय करनी होती है। जिला भाजपा में उनकी कमी पूरी नही हो सकती कोई दूजा रोशन लाल नही हो सकता तो ये भी तय है कि जिले में भाजपा की यह शून्यता कोई नही भर सकता।।

advertisement advertisement advertisement advertisement advertisement
Back to top button
error: Content is protected !!