रायगढ़ – खदान-संचालक अमित अग्रवाल व खनिज विभाग की सांठगांठ का अजीबोगरीब मामला: पहले जिस सरकारी भूमि पर 10 सालों से अधिक समय तक खदान चलाई अब उसी भूमि को दोबारा से भंडारण हेतु लीज़ पर लिया गया…निष्पक्ष जाँच हुई तो खनिज विभाग के आला अफसर भी…

रायगढ़ – अक्सर यह बात सुनने में आती हैं कि टीमरलगा-गुड़ेली क्षेत्र स्थित क्रेशर संचालक किसी सरकारी नियम कायदों की परवाह नहीं करते हैं और खुलेआम किसी भी कानूनी कार्यवाही के भय से मुक्त होकर बिंदास तरीके से अपने दो नम्बरी मंसूबों को पूरा करते हैं उनकी करतूत देखकर अब यही सच भी लगता हैं। ताज़ा मामला गुड़ेली स्थित छत्तीसगढ़ क्रेशर का हैं जो बीतें 10 सालों से भी अधिक समय से डेढ़ हेक्टेयर भूमि पर खदान संचालित करता रहा है अब हाल ही में उसकी खदान की लीज़ खत्म हो गई हैं लेकिन अब उसी भूमि पर पुनः भंडारण हेतु लीज़ ली जा रही हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जहाँ खदान था वहाँ भंडारण कैसे मिला और अब उसी भूमि पर भंडारण हेतु दोबारा लीज़ कैसे दी जा सकती हैं…?

यह चौंका देने वाला सनसनीखेज मामला गुड़ेली स्थित छत्तीसगढ़ क्रेशर का हैं जिसके संचालक अमित अग्रवाल को खसरा नम्बर 521, 523/2, 523/13, 523/14, 523/15, 523/16, 524, 527/1, 527/2, 527/3, 527/4, 527/5, 527/6, 527/7, 527/8, 527/9, 528/5, 528/6 कुल रकबा 1.321 हेक्टेयर पर चूना पत्थर खनन हेतु खनिजपट्टा स्वीकृत किया गया था जिसकी अवधि 2020 में खत्म हो गई हैं और लीज़ अवधि खत्म होने के पूर्व 10 साल से अधिक अवधि तक यहाँ खनन किया जाता रहा। क्रेशर संचालक अमित अग्रवाल ने इसके बाद इसी भूमि पर क्रेशर-संयंत्र व अस्थाई भंडारण हेतु अनुमति ली।
खसरा नम्बर 523/2, 523/13, 523/14, 523/15, 523/16, 524, 527/1, 527/2, 527/3, 527/4, 527/5, 527/6, 527/7, 527/8, 527/9 कुल रकबा 1.228 हेक्टेयर पर अस्थाई भंडारण लाइसेंस हेतु आवेदन किया, जिसे स्वीकृति प्रदान करते हुए जुलाई 2020 से 30 जून 2030, दस सालों के लिए दोबारा लाइसेंस दिया गया है, जिसके बाद अब क्रेशर संचालक ने फिर से पुराने खनिजपट्टे पर लीज के लिए दोबारा आवेदन दिया है लेकिन उप संचालक खनिज के पास यह अधिकार न होने की वजह से अब यह आवेदन संचालक खनिज की टेबल पर जा पहुंचा हैं। जहाँ सूत्रों से मिली जानकारी की मानें तो सांठगांठ कर दोबारा उसी भूमि पर लीज़ की अनुशंसा कर दी गयी हैं।
दिलचस्प तथ्य : यह पूरा मामला बेहद अजीबोगरीब हैं क्योंकि पूरे गुड़ेली क्षेत्र में कोई भी ऐसा खनिजपट्टा नहीं हैं जहाँ 20 मीटर से कम गहराई तक खनन किया गया हों। छत्तीअसगढ़ मिनरल्स ने भी 10 साल से अधिक समय तक लीज़ पर खनन किया, मतलब कुल 1.321 हेक्टेयर रकबे पर माइंस थी अब अचानक से उसी माइंस पर क्रेशर संयंत्र व मिट्टी भंडारण की अनुमति ली गयी हैं ऐसे में बड़ा सवाल यह हैं कि क्या खदान पर क्रेशर संयंत्र लगेगा..? इसके बाद संचालक ने फिर से यू-टर्न लेते हुए दोबारा इसी भूमि पर लीज़ हेतु अपील कर दिया है। इस मामलें को लेकर जानकारों का मानना है कि यह मामला सीधे तौर पर संचालक व खनिज विभाग के आला अफसरों की सांठगांठ से जुड़ा हुआ है और अगर इस मामलें की उच्चस्तरीय जांच हुई तो न सिर्फ खदान संचालक अमित अग्रवाल बल्कि जिला खनिज विभाग के भी कई अफसरों पर कार्यवाही हो सकती हैं।