रायगढ़ या भ्रष्टाचार गढ़…? हल्का पटवारी से लेकर राजस्व अधिकारी, जल संसाधन विभाग और सिंचाई विभाग अवैध को वैध बनाने में लगे रहें..डैम के कैचमेंट एरिया में दुर्ग की “यंगटी इंटरप्राइजेज” को मिला खनन पट्टा…

रायगढ़, 04 नवंबर। जिस तरह से रायगढ़ में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले सामने आ रहे है उसको देखते हुए अगर रायगढ़ को भ्रष्टाचार गढ़ भी कहा जाए तो भी कोई अतिशयोक्ति नही होगी, खासकर सरकारी भूमि सहित तालाब व नहर भूमि पर हो रहे अवैध कब्जे और निर्माण के मामलों को देखते हुए। ताजा मामला…रायगढ़ के टीपाखोल जलाशय से जुड़ा हुआ है..भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी की वजह से अब जिसके अस्तित्व पर ही विलुप्त होने का खतरा मंडराने लगा है । जी हाँ.. आप बिल्कुल सही पढ़ रहे है , टीपाखोल डैम आगे जाकर गायब हो जाएगी , क्योंकि जल संसाधन विभाग खुद इसे नकार रहा है।
पहले कई लोगों ने टीपाखोल नहर को दबाकर निर्माण कर लिए, अब डैम के कैचमेंट एरिया में क्वार्ज़ाइट खनन हो रहा है, लेकिल जल संसाधन विभाग ने डैम को छिपाते हुए एनओसी दे दी। टीपाखोल डैम की नहर भगवानपुर, जगतपुर तक पहुंची है लेकिन इसे दबाकर कॉलोनी बना दी गई, किसी ने शोरूम बना लिया तो किसी ने मकन बना लिया। जब इस जमीन का डायवर्सन करने के लिए एनओसी मांगी गई तो राजस्व विभाग और जल संसाधन विभाग ने बिना पड़ताल के एनओसी दे दी।
SDM की जांच में 70 लोगों का पाया गया था अवैध कब्जा और निर्माण..
शिकायत होने पर एसडीएम रायगढ़ ने नौ सदस्यीय टीम का गठन किया था। जांच में पता चला कि करीब 70 लोगों के अवैध कब्जे पाए गए। साथ ही सरकारी जमीन पर अतिक्रमण भी हुआ है। खैरपुर, पतरापाली, सराईपाली, गोरखा, भगवानपुर, जगतपुर और कलमी की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है। इसे अब तक मुक्त नहीं कराया जा सका है। न ही जल संसाधन विभाग ने इसकी मांग की है। अब यंगटी इंटरप्राइजेस को दी गई माइनिंग लीज भी सवालों के घेरे में है। डैम से लगी हुई सरकारी जमीन पर यंगटी इंटरप्राइजेस को लीज स्वीकृत की गई। इस बार भी जल संसाधन विभाग ने एनओसी दे दी।
रायगढ़ की सरकारी जमीन पर दुर्ग की एक प्राइवेट कंपनी को क्वार्जाइट खनन की मंजूरी दे दी। डैम के कैचमेंट एरिया में खनन करने के लिए जल संसाधन विभाग ने सहमति दे दी।
राजस्व विभाग की भूमिका भी संदेहास्पद..?
इस मामले में दी गई माइनिंग लीज भी सवालों के घेरे में है। डैम से लगी हुई सरकारी जमीन पर यंगटी इंटरप्राइजेस को लीज स्वीकृत की गई। इस बार भी जल संसाधन विभाग ने एनओसी दे दी। रायगढ़ की सरकारी जमीन पर दुर्ग की एक प्राइवेट कंपनी को क्वार्जाइट खनन की मंजूरी दे दी। डैम के कैचमेंट एरिया में खनन करने के लिए जल संसाधन विभाग ने सहमति दे दी। पहले टीपाखोल डैम की नहर के लिए अधिग्रहित भूमि पर निर्माण कर लिए गए। रजिस्ट्रियां हो गईं, नक्शे काटे गए। तब भी हल्का पटवारी ने इसकी जानकारी नहीं दी। बल्कि सारे निर्माण को वैध बनाने के लिए काम करता रहा। बाद में जब यंगटी इंटरप्राइजेस के लिए एनओसी ली गई तब जल संसाधन विभाग और राजस्व विभाग दोनों ने डैम की दूरी छिपाई। दोनों ही बार पटवारी की भूमिका संदेहास्पद है।











