रायगढ़ – ये है सुग्घर रायगढ़ : जहां एक से बढ़कर एक बड़े कारनामे आये सामने मगर आज पर्यंत कोई कार्यवाही नहीं.. लेकिन यहां प्रशासनिक कार्यवाही के नाम पर होती हैं सिर्फ जांच..फिर लटक जाती हैं पेंडेंसी की तलवार… NR और महाजेंको से जुड़े हाईप्रोफाइल मामले भी शामिल…

रायगढ़ – जी हां , इस ख़बर में हम हमारे छत्तीसगढ राज्य के संस्कारधानी जिले यानि कि रायगढ़ जिले की ही बात कर रहे हैं। जहां बीते कुछ सालों में एक से बढ़कर एक कारनामें को स्थानीय और बाहरी लोगों द्वारा प्रशासनिक सांठगांठ से अंजाम देने गया है और मामले सामने आने के बाद बकायदा प्रशासनिक जांच भी कराई जाती है लेकिन जांच के बाद संबंधितों पर कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति का खेल चल रहा है जबकि ज्यादातर मामले प्रथम दृष्ट्या से क्रिस्टल क्लियर है जिसमें दोषियों पे बड़ी कार्यवाही अब तक हो जानी चाहिए थी।
मामला चाहें औद्योगिक विस्तार के नाम पर चाहे 22 हजार 607 पेड़ों से भरे सीएसआईडीसी की भूमि को आवंटित करने की बात करें या फिर उद्योग के विस्तार के लिए निजी खरीदे गए भूमि में रजिस्ट्री के दौरान पेड़ों की संख्या को छिपाकर स्टांप डयूटी में शासन को चपत लगाने की बात करें। उद्योग प्रंबंधन और राजस्व विभाग के तत्कालीन अधिकारी व कर्मचारियों की मिली भगत से खुलकर पूरा खेल खेला गया है। कुछ ऐसा ही नजारा नवगठित सारंगढ़ जिले में साराडीह बैराज के प्रभावित ग्राम में मुआवजा का खेल के लिए किसानों की जमीन को छलपूर्वक फर्म के नाम पर क्रय कर मुआवजा हासिल करने का मामला हो। तो वहीं घरघोड़ा के महाजेंको के प्रभावित ग्रामों में कलेक्टर के द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद भी खरीद-बिक्री और डायवर्सन करने तत्कालीन अधिकारियों द्वारा खेल गए खेल का मामला हो। इसमें साराडीह बैराज के मामले को छोड़कर दोनों में जांच हुई है पर कार्रवाई अब तक कुछ भी नहीं हुई है। वहीं सेवा सहकारी समिति विरसिंघा में किसानों का मनमाने तरीके से रकबा बढ़ाकर बोगस धान खरीदी करने के मामले में भी जांच हुई पर इसमें भी आज पर्यंत कार्यवाही लंबित है।
केस 1 : गाम शिवपुरी में एनआर आयरन एंड पॉवर प्राईवेट लिमिटेड द्वारा करीब 200 एकड़ निजी जमीन उद्योग के विस्तार के लिए क्रय किया गया। इस भूमि में वन विभाग के वर्तमान रिपोर्ट के अनुसार करीब 50 हजार साल और महुआ के ईमारती वृक्ष होना पाया गया है, लेकिन इस जमीन के लिए राजस्व विभाग द्वारा जारी बिक्री नकल में करीब 7 सौ पेड़ दिखाए गए हैं, जिसके कारण शासन को वृक्षों के नाम पर मिलने वाले स्टांप डयूटी की राशि में चपत लगी है। हांलाकि इसमें रिकवरी का भी प्रावधान है लेकिन अब तक इसमें न तो संबंधित उद्योग से रिकवरी की कार्रवाई शुरू हुई है न ही गलत रिपोर्ट देने वाले अधिकारी-कर्मचारी पर कोई कार्रवाई हुई।
केस 2 : नवगठित जिले सारंगढ़ में साराडीह बैराज के प्रभावित ग्राम जशपुर कछार में कुछ वर्ष पूर्व मदनपुर साउथ कोल कंपनी और विमला इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम से गलत तरीके से किसानों की प्रभावित जमीन को क्रय किया गया। इसमें किसानों ने कुछ समय पूर्व एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक को शिकायत कर जांच करते हुए मूल कृषकों को मुआवजा राशि दिलाए जाने की मांग की है। इस दिशा में अब तक किसी प्रकार की जांच करना प्रशासन ने उचित नहीं समझा। जिसके कारण कुछ समय पूर्व मदनपुर साउथ कोल कंपनी को मुआवजा राशि जारी हो गया है। इस राशि के आहरण पर रोक लगाने की मांग भी किसानों ने किया है। उक्त फर्म द्वारा क्रय जमीन के पीछे बीजेपी नेता का हाथ होने की बात सामने आने के बाद भी इस पर जांच नहीं किया गया है।
केस 3 : घरघोड़ा में महाजेंको को कोल ब्लाक आवंटित है वहीं 14 किलोमीटर का रेल लाईन प्रस्तावित है इसमें प्रभावित दर्जन भर से अधिक गांव में जमीन के खरीद-बिक्री के खेल के साथ ही साथ डायवर्सन का खेल तत्कालीन अधिकारियों ने खेला है। कलेक्टर द्वारा प्रतिबंध लगाने आदेश करने के 8 माह बाद तत्कालीन एसडीएम एके मार्बल ने आदेश जारी किया और इसके बाद भी अनुमति व डायवर्सन का खेल खेला गया है। हांलाकि इस मामले में जिला प्रशासन जांच कर रही है लेकिन प्रथम दृष्टया मामला स्पष्ट होने के बाद भी तत्कालीन अधिकारियों पर किसी प्रकार की कार्रवाई शासन स्तर से नहीं हुई है।
केस 4 : लैलूंगा के विरसिंघा सोसायटी में प्रबंधक प्रहलाद बेहरा सहित 19 लोगों ने मिलकर किसानों के रकबे से छेड़छाड़ करते हुए बोगस धान खरीदी का खेल खेला गया है। इस मामले में हुई जांच में जांच टीम ने स्पष्ट लिखा हुआ है कि किसानों की सहमति के बगैर भी रकबा बढ़ाकर धान विक्रय करना दिखाया गया है और ऋणपुस्तिका में उसकी इंट्री भी नहीं है। लाखों रुपए के बोगस धान खरीदी करने व राशि की गड़बड़ी करने की पुष्टी जांच में हुई है जिसमें अब तक सिर्फ प्रबंधक व सोसायटी के पदाधिकारी व कर्मचारियों पर कार्रवाई के नाम पर डीआरसीएस द्वारा सिर्फ नोटिस की खानापूर्ति की गई है।
खबर स्त्रोत : दैनिक पत्रिका अखबार



