रायगढ़ – शासन-प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोलता जिले का यह गाँव ‘झाँकादरहा’….जहाँ आज़ादी के 75 साल बाद भी गाँव के लोग तालाब के “गंदे पानी से बुझा रहें है अपनी प्यास….”

रायगढ़ – आज एक ओर पूरा देश आज़ादी की 75 वीं सालगिरह मना रहा है दूसरी ओर जिले में एक गाँव ऐसा भी हैं जहाँ के बाशिंदों को आज भी पीने का स्वच्छ पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण में दो दशक से ज्यादा समय बीत चुका है हर सरकार बड़े बड़े वादे तो कर रही हैं पर जनता को जो बुनियादी सुविधाएं चाहिए वह आज भी मयस्सर नहीं है। सरकार विकास के दावे तो करती है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आता है। आज भी लोगों की पानी जैसी मूलभूत आवश्यकता पूरी नहीं हो पाती।

जी हाँ.. हम बात कर रहे हैं आदिवासी बाहुल्य धरमजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र की जहाँ जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित घरघोड़ा ब्लॉक में झरियापाली पंचायत में ऐसा ही एक गांव झांकादरहा है जिसकी आबादी करीबन 1000 हैं जहां के ग्रामीणों को पानी के लिए लंबी दूरी तय करना पड़ता है वे परेशान है और शासन-प्रशासन से पानी की उचित व स्थायी व्यवस्था की मांग कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
झाँकादरहा गांव की महिलाओं को अपने गांव से लगभग एक किलोमीटर दूर जाकर तालाब से पानी लाना पड़ता है और इसी तालाब के पानी को वे लोग पेयजल व बाकी अन्य कार्यों में इस्तेमाल करने को मजबूर है जिससे उनके दिन का अधिकांश समय पानी की व्यवस्था में निकल जाता हैं।

दरअसल पूरे इस गाँव मे पीने के पानी के लिए बोर की व्यवस्था भी हैं और एक टँकी का निर्माण भी किया गया है लेकिन जब से बोर लगा है तब से इसमें बार बार मेकेनिकल समस्या आ रही हैं और एक बार जब यह खराब ही जाता हैं वो इसकी मरम्मत में 15-15 दिन का समय लग जाता हैं तब गाँव वालों को गाँव से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तालाब से पानी लेने जाना पड़ता है और वे इसी पानी से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं। जब हमने गाँव वालों से बात की तो वे भावुक हो गए और कहने लगे “कि शायद हमें हमारे किसी जनम में किए पापों की सज़ा मिल रही हैं।
बता दें कि अभी कुछ दिनों से बोर फिर से खराब हो गया है और यहाँ की सरपंच श्रीमती शंकुन्तला देवी सहित बाकी अन्य जनप्रतिनिधि भी हमेशा की तरह उदासीन रवैय्या अपनाए हुए हैं।

