हाईटेंशन लाईन टॉवर को भी घेरा.. चहुंओर अतिक्रमण.. सांगीतराई में नोटिस देने के बाद सबके प्रकरण भी दर्ज नहीं किए..सीमांकन के बाद लेन-देन की खबर.. भू माफियाओं ने 50 रुपए के स्टांप में करीब 20 एकड़ सरकारी भूमि बेच दी… संरक्षण देने वाले अफसरों की मौज….

रायगढ़। सांगीतराई मामले को बेहद चतुराई से दबाने वाले अफसर मौज में हैं। 20 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण को रोकने के लिए सीमांकन किया गया। कई दिनों तक नायब तहसीलदार, आरआई, पटवारी कसरत करते रहे लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब तो वहां हाईटेंशन लाइन के टावर को भी घेर लिया गया है। टावर के चारों ओर नीचे मकान बना लिए गए हैं। अतिक्रमण पर कार्रवाई का ढोल पीटने वाला राजस्व विभाग किसी भी सरकारी जमीन पर कब्जा करवा सकता है। अतिक्रमण की पुष्टि हो जाए तब भी वहां के अतिक्रमणकारियों को जमीन पर काबिज रहने के लिए रास्ता निकल जाता है।

सांगीतराई में कार्रवाई के बजाय बड़े पैमाने पर लोगों को बसने के लिए मोहलत दी गई। अधूरे निर्माण पूरे करने के लिए समय दिया गया। नेशनल हाईवे से सटे सांगीतराई की जमीन बेशकीमती है। यहां बाजू में बस स्टैंड और सामने से एनएच गुजरने की वजह से इलाके में अतिक्रमण में तेजी आई। कई भू-माफियाओं ने 50 रुपए के स्टाम्प पेपर पर सरकारी जमीन बेच दी लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। 2023 में जांच के आदेश हुए तो सीमांकन किया गया। करीब 50 लोगों के अवैध कब्जे पाए गए जिसमें शहर के कई कारोबारी भी शामिल हैं।

जांच प्रतिवेदन के आधार पर नायब तहसीलदार कोर्ट में सभी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर सुनवाई की जानी थी। सांगीतराई में करीब 20 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है। खसरा नंबर 320/1 रकबा 3.93 हे., 320/3 रकबा 3.33 हे. और 320/14 रकबा 0.28 हे. है। तालाब किनारे हाईटेंशन टावर लाइन स्थापित है। इसके नीचे चारों ओर घेरकर मकान बना लिए गए हैं। कभी कोई अनहोनी हुई तो कई मकान जद में आ जाएंगे।

तालाब के इर्द-गिर्द बसाया गया अवैध मोहल्ला

सांगीतराई मामले में राजस्व अधिकारियों ने खूब मलाई खाई है। यहां एक स्थानीय भूमाफिया ने स्टाम्प पेपर पर सरकारी जमीन बेच दी है। इस पर कार्रवाई के बजाय प्रकरण ही दर्ज नहीं किए गए। अस्पताल और कुछ कारोबारियों ने भी जमीन पर कब्जा किया है। किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हर एक महीने में एक नया आदमी यहां मकान बनाना शुरू करता है। अब तालाब की मेंड़ को चौड़ा करके आने-जाने का रास्ता भी बना लिया गया है।



खबर स्रोत : केलो प्रवाह