नये रायगढ़ की बदहाली : संस्थाओं के लिए आबंटन में सरकारी भूमि का टोटा.. लेकिन भू माफिया खुलेआम कर रहे है सरकारी भूमि पर कब्जा व निर्माण.. वार्ड नंबर 25 में चंद हजार में बिक रही है सरकारी जमीन.. राजस्व और निगम प्रशासन की अकर्मण्यता का बेजा लाभ उठा रहे है भू माफिया..

रायगढ़। जिला मुख्यालय रायगढ़ इन दिनों पूरी तरह से भू माफियाओं के शिकंजे में कसता हुआ नजर आ रहा है आलम यह है कि जिसको भी दुकान, मकान अथवा कॉम्प्लेक्स निर्माण हेतु जमीन चाहिए वो सीधे सरकारी भूमि पर कब्जा व निर्माण कर रहा है क्योंकि ऐसा करने में कहीं न कहीं राजस्व विभाग और निगम प्रशासन का परोक्ष सहयोग अवैध कब्जाधारियों और भू माफियाओं को मिल रहा है, लेकिन वही अगर कोई संस्था सार्वजनिक हित के दृष्टि से अगर विधिवत तरीके से भू आबंटन मांगती है तो उसे ठेंगा दिखाया जा रहा है। जी हां, हम यहां नगर निगम के अंतर्गत आने वाले वार्ड नंबर 25 कौहाकुंडा-विनोबानगर, इला मॉल के सामने और पीछे तरफ धड़ल्ले से हो रहे अवैध कब्जे और निर्माण की बात कर रहे हैं जहां फिलहाल किसी की नजर नही है क्योंकि सारे जिम्मेदार अफसर अपने एसी चेंबर में बैठकर शासन चला रहे है।
सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा और निर्माण करने वाले स्थानीय भू माफियाओं के सामने नगर निगम प्रशासन और राजस्व विभाग दोनों ही बेबस नजर आने लगे है। शहर में कुछ वार्ड तो ऐसे भी है जहां दो तीन साल पहले तक बीस से पचास एकड़ तक सरकारी भूमि खाली थी किंतु आज यहां स्थानीय भू माफियाओं ने अपना कब्जा और निर्माण कर लिया है जिसमें सबसे ज्यादा मामले वार्ड नंबर 25 कौहाकुंडा विनोबानगर, वार्ड नंबर 1-2 रामभांटा, कोतरारोड बायपास रोड इला मॉल के आगे और पीछे दोनों तरफ मुख्य रूप से शामिल है। यही नहीं भू माफियाओं के हौसले इतनी बुलंदी पर है कि वे सिर्फ अब सरकारी भूमि पर कब्जा और निर्माण ही नही कर रहे है बल्कि धड़ल्ले से बेच भी रहे है। जिनके अतिक्रमण का तरीका भी बड़ा ही नायब है पहले सरकारी भूमि पर एक कच्ची झोपड़ी बनाई जाती है फिर कुछ महीने के बाद दीवार उठाकर एस्बेस्टस सीट लगाई जाती है और फिर देखते ही देखते कुछ महीने बीतते ही यहां पक्का निर्माण कर लिया जाता है जिसे जरूरतमंदों को कम कीमत का झांसा देकर वहां की सरकारी दर से लगभग दुगुनी तिगुनी कीमत में बेच दिया जाता है और ऐसा भी नही है कि यह सब वहां के स्थानीय पटवारी और आरआई के जानकारी में नही होता है लेकिन सब धंधा अदृश्य सेटिंग और व्यवस्था के दम पर फल फूल रहा है।
कौहाकुंडा विनोबानगर में अतिक्रमण चरम पर :
यहां की स्थिति निगम क्षेत्र में सबसे ज्यादा बदतर है तीन साल पहले तक जहां लगभग 40% सरकारी भूमि खाली थी आज वहां कच्चे पक्के मिलाकर लगभग 40 से ज्यादा मकान और दुकान बन गए है 4 मार्च 2023 को कौहाकुंडा में चार झोपड़ियां बनी हुई थी आज यहां एक साथ 15 मकान बनाए जा रहे है लोगों ने खुलेआम दो दो हजार वर्ग फीट सरकारी भूमि पर कब्जा और निर्माण कर लिया है जबकि इस क्षेत्र में जो निजी कालोनियां बन रही है उसका रेट 1200 से लेकर 1800 रुपए प्रति वर्ग फीट तक है लेकिन स्थानीय भू माफियाओं और लोगों के लिए सबकुछ मुफ्त है क्योंकि यहां निगम प्रशासन और राजस्व विभाग के जिम्मेदार कर्मचारी अफसरों ने स्वयं को व्यवस्था के अनुकूल बना लिया है।
एसएलआरएम सेंटर जाने के लिए नही बचा है रास्ता : वार्ड नंबर 25 में कौहाकुंडा और विनोबानगर में कचरे के निपटान हेतु निगम द्वारा एसएलआरएम सेंटर बनाया गया है लेकिन आज वस्तुस्थिति यह है कि इस भवन में स्थानीय असामाजिक तत्वों द्वारा शराब दारू और गांजा पिया जा रहा है इसके अलावा भी यहां अन्य अनैतिक गतिविधियों के संचालित होने की खबर भी मिल रही है रिकॉर्ड देखा जाए तो यहां आज भी सरकारी भूमि दिख रही है लेकिन जमीन हकीकत यह है कि यहां दर्जनों मकानों के निर्माण हो गए है और आज यहां पूरी तरह से एक अवैध स्लम बस्ती ही बस गई है जहां एंबुलेंस तक जाने को रास्ता नही बचा है।
हालत यह है कि यहां आकर कार्यवाही करने की हिम्मत आज तक न तो राजस्व विभाग ने की और ही नगर निगम प्रशासन ने। यहां खसरा नंबर 86/3 रकबा 0.4050हे , 86/1 रकबा 3.5040हे, 88/1 रकबा 1.3760हे, 90/3 रकबा 0.5630हे सरकारी भूमि पर कब्जा ही चुका है इसके अलावा भी यहां की कई एकड़ सरकारी भूमि पर गायब हो चुकी है।