रायगढ़ – आदिवासी युवक के सुसाइड का मामला: देर रात धरनास्थल पहुँचे ओपी चौधरी, मृत युवक के माता-पिता से कहा कि मैं न्याय लेकर ही रहूँगा, जरूरत पड़ी तो 10 हज़ार लोगों के साथ आंदोलन करूँगा…

रायगढ़ – पुलिस प्रताड़ना की वजह से फाँसी पर झूल गए पुत्र को न्याय दिलाने एसपी परिसर में स्थित गाँधी प्रतिमा में देर रात तक धरने में बैठे माता पिता के पास भाजपा नेता ओपी चौधरी, युवा नेता सुमीत शर्मा ( भाजपा नगर महामंत्री) के साथ पहुँचे।

पीड़ित माता-पिता व भाई से घटना का वृत्तांत पूरे मनोयोग से सुनने के बाद ओपी चौधरी ने मृतक की माता को आश्वासन दिया कि वे यहाँ राजनीति करने नही बल्कि पीड़ितों के लिये न्याय की लड़ाई में साथ खड़े होने आए है। आदिवासी माता-पिता की दर्दनाक पीड़ा सुनकर भावुक हुए ओपी ने कहा कि न्याय नही मिला तो 10 हजार भाजपाईयो के साथ आंदोलन करेंगे। ओपी चौधरी ने पीड़ित परिवार की रिपोर्ट लिखाने के लिए वकील उपलब्ध कराने की बात भी कही।

बता कि यह रायगढ़ जिले का पहला ऐसा मामला है जब पुलिस प्रताड़ना से तंग होकर फाँसी लगाने वाले बेटे के माता पिता ने रात को धरना दिया और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिये ओपी चौधरी ने सूर्योदय होने तक का भी इंतजार नही किया। देर रात अंधेरे में ही ओपी धरने में बैठे पीड़ित परिवार के करीब पहुंचे मृतात्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए कहा कि आपके हक की लड़ाई में साथ रहूँगा। ओपी चौधरी की सिंहगर्जना से पुलिस महकमा थर्रा गया और धरनास्थल पर मौजूद एसपी अभिषेक मीणा ने मामले की गंभीरता को समझते हुए विभागीय चूक को महसूस किया और आरोपी एएसआई अर्जुन कुमार चंद्रा को देर रात निलंबित कर एसपी मीणा ने सवेदनशीलता का परिचय देते हुए हॉई-वोल्टेज मामलें का पटाक्षेप किया।

खरसिया विधानसभा से जुड़े इस मामले में काँग्रेस से जुड़े नेता नमो पटेल का नाम भी सामने आ रहा है। मृतक ने फाँसी लगाने के पूर्व दीवाल पर नमो पटेल व कोतरारोड थाने में पदस्थ एएसआई अर्जुन कुमार चंद्रा का नाम लिखा था। मृतक की दुखी माता घटना का ब्यौरा दिया तो रोंगटे खड़े क़र देने वाली जानकारी सामने आई। खाकी को दागदार बनाने वाले ऐसे आरोपी एएसआई की वजह से न केवल पुलिस विभाग बदनाम होता है बल्कि समाज मे भी पुलिस की छवि दागदार होती है।
मृतक की माता ने बताया कि पुलिस द्वारा झूठे केस में फंसाये जाने की धमकी व 20 हजार रुपये की मांग किये जाने की वजह से उनका बेटा परेशान था और फाँसी के फंदे पर झूल गया। मज़दूरी करके बड़ी मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुगाड़ करने वाला परिवार 20 हजार की व्यवस्था कर पाने में अक्षम था। गरीबी इस परिवार के लिए अभिशाप बन गई। जिस माटी में ओपी पैदा हुए उस माटी की माता की करुण पुकार सुनकर वे भी व्यथित हुए और कहा कि न्याय पाने का संवैधानिक हक हरेक नागरिक को है।
आदिवासियों के हक की लड़ाई के लिए ही छोड़ा था ओपी ने सोने का सिंहासन
ओपी चौधरी ने ऐसे ही लोगो के हक की लड़ाई के लिए कलेक्ट्री के सिंहासन का त्याग किया है। खरसिया उनके जन्म भूमि व कर्म भूमि दोनों हैं। ओपी के इस तेवर से यह स्पष्ट हो गया कि जिले में ऐसा कद्दावर भाजपा नेता भी मौजूद है जो आदिवासी भाईयों के हक की लड़ाई के लिए उनके साथ खड़ा है।