
रायगढ़ – जिला भाजपा के कप्तान उमेश अग्रवाल कप्तानी संभालने के बाद से लगातार जिस तरह से कंसिस्टेंटली खराब प्रदर्शन कर रहें हैं उससे न सिर्फ उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवालिया निशान लग गया है बल्कि आसन्न विधानसभा चुनाव 2023 में जिले के पाँचों विधानसभा सीटों में भाजपा का क्या हश्र हो सकता है इसकी बानगी भी दिख गई हैं। सारंगढ़ निकाय चुनाव के साथ रायगढ़ नगर निगम के 2 सीटों पर हुए इस उपचुनाव को दिसंबर-2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। इसमें रायगढ़ कांग्रेस ने स्थानीय विधायक प्रकाश नायक की अगुवाई में भाजपा का जिस अंदाज में सफाया किया है उससे साफ हो गया है कि रायगढ़ भाजपा का नेतृत्व व संगठन दोनों आसन्न विधानसभा चुनाव को लेकर बिल्कुल भी संजीदा नहीं हैं।
रायगढ़ जिलाध्यक्ष 2 साल से कप्तान की भूमिका में संगठन चला रहे हैं बतौर कप्तान उनकी कार्यशैली व निर्णयों पर सवाल भी लगातार उठते रहे हैं। 2019 के नगरीय निकाय चुनाव के दौरान भी उनके द्वारा जिस तरह से टिकट वितरण किया गया था उसको लेकर भी पार्टी कार्यकर्ताओं में उस वक्त भारी असंतोष था। कुछ कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों ने तो उनके प्रत्याशी चयन व टिकट वितरण को ही नगरीय निकाय चुनाव में मिली शिकस्त की मुख्य वजह बताया था।
भाजपा की हार के 5 बड़े कारण…
1. स्थानीय विधायक प्रकाश नायक की जमीनी सक्रियता : स्थानीय विधायक प्रकाश नायक ने जिस आक्रामक अंदाज में उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद से ही पूरे होमवर्क के साथ जमीनी स्तर पर सक्रिय हुए थे और वोटिंग खत्म होते तक उसी तेवर के साथ 24×7 अपनी टीम के साथ मैदान पर डंटे रहें, उनके इस अंदाज ने भी युवा मतदाताओं को काफी हद तक अपनी ओर करने में कामयाबी हासिल की।
2. काम कर गया सहानुभूति कार्ड : निगम के वार्ड नं 9 में काँग्रेस पार्षद कमल पटेल के निधन से यह सीट खाली हुई थी। ऐसे में कांग्रेस ने इस वार्ड में सहानुभूति कार्ड खेला और उन्हें इसका फायदा भी मिला। वैसे इस वार्ड में रायगढ़ भाजपा के तमाम बड़े नेताओं मसलन गुरूपाल भल्ला, सुभाष पाण्डेय, ज्ञानू गौतम, निगम नेता प्रतिपक्ष पूनम सोलंकी सहित बाकियों ने अपनी पूरी ऊर्जा झोंक दी थी बावजूद यहाँ से भी भाजपा को हार से ही संतोष करना पड़ा। क्योंकि जितने भाजपा नेताओं ने भी यहाँ काम किया उनको लेकर अब सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि वे महज रैली करने वाले नेता थे न कि वोट मैनेजमेंट की राजनीति के जानकार। वैसे इस वार्ड के नतीजे को लेकर स्थानीय लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि भाजपा के तमाम स्वयम्भू महारथियों को एक अकेले क्षेत्र की महिला कॉंग्रेस पार्षद रुकमणी साहू (ननकी नोनी) ने ही पानी पिला दिया।
3. रायगढ़ में भाजपा की सबसे बड़ी चिंता गुटबाजी व पुअर मैनेजमेंट : रायगढ़ में भाजपा की सबसे बड़ी चिंता पार्टी की गुटबाजी है हालांकि जिला नेतृत्व बीतें दो साल से ये दावा करते रहे हैं कि रायगढ़ में कोई गुटबाजी नहीं हैं। यहां कप्तान उमेश अग्रवाल के नए गुट और निगम के पूर्व वरिष्ठ पार्षद व शहर के कद्दावर भाजपा नेता आशीष ताम्रकार के बीच चल रही खींचतान से हर कोई वाकिफ है। इसी खींचतान की वजह से उपचुनाव में वार्ड नं 25 से उनकी धर्मपत्नी को पार्टी टिकट नहीं दिया गया बल्कि उनकी दावेदारी के विरुद्ध ऐसा माहौल बना दिया गया जिससे उन्हें खुद अपनी दावेदारी से पीछे हटना पड़ा। यहाँ जिला भाजपा ने जिस महिला नेत्री रश्मि बघेल को टिकट दिया, वो पार्टी की प्राथमिक सदस्य तक नहीं थी जिसकी वजह से इस भाजपाई वार्ड में भी 205 वोटों के भारी अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा के वोट बैंक समझें जाने वाले इस वार्ड में मतदाताओं की बेरुखी इसी बात से समझी जा सकती है कि सीट पर महज 58% मतदान हुआ। स्थानीय राजनीतिक समीक्षक इसकी सबसे बड़ी वजह गलत प्रत्याशी चयन को मान रहें हैं।
4. आपसी फूट भी बड़ा फैक्टर
रायगढ़ में भाजपा कई गुटों में बंटी है। पार्टी के स्थानीय जिलाध्यक्ष को लेकर पुराने व जमीनी कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनकी बागडोर किसी और के हाथों में हैं जिसकी वजह से वो पार्टी हित मे स्वतंत्र निर्णय नहीं ले पा रहें हैं। बीतें 2019 के निगम चुनाव व इस उपचुनाव के मद्देनजर प्रत्याशी चयन व रणनीति बनाने के दौरान इसकी झलक साफ देखी भी गईं। कार्यकर्ताओं का मानना हैं कि यहाँ पार्टी ने न सिर्फ आशीष ताम्रकार को भरोसे में नहीं लिया बल्कि सिरे से ताम्रकार फैक्टर को नजरअंदाज भी किया। अगर भाजपा यहाँ आपसी अहम से परें यहाँ आशीष से औपचारिक संवाद भी करती तो शायद यहां का नतीजा कुछ और रहता।
5. पूर्व विधायक से जुड़े भाजपाई खेमें की अनदेखी : रायगढ़ विधानसभा सभा सीट से विधानसभा रहें कद्दावर भाजपा नेता स्व.रोशनलाल अग्रवाल खेमें की अनदेखी भी इस निगम उपचुनाव व सारंगढ़ निकाय चुनाव में रायगढ़ भाजपा की हार की बड़ी वजह रहीं। रायगढ़ निगम के वार्ड नं 9 में जहाँ भाजपा जिला नेतृत्व ने कमान वरिष्ठ भाजपा नेता गुरूपाल भल्ला, ज्ञानू गौतम, सुभाष पाण्डेय व निगम नेता प्रतिपक्ष पूनम सोलंकी को सौंप दिया वहीं इस क्षेत्र में भाजपा की राजनीति की बागडोर संभालने वाले पुराने भाजपाई कार्यकर्ताओं जो कि पूर्व विधायक स्व. रोशनलाल अग्रवाल के गुट से जुड़े मानें जाते हैं उनकी सिरे से अनदेखी की गई जबकि अगर भाजपा नेतृत्व चाहता तो गौतम अग्रवाल से संवाद स्थापित कर नाराज कार्यकर्ताओं को मना कर चुनाव अभियान में लगाया जा सकता था तब शायद वार्ड नं 9 का परिणाम भाजपा के पक्ष में होता…