
फॉलोअप
रायगढ़। बीते कुछ सालों से रायगढ़ मुख्यालय में राजस्व अमले की उदासीनता और मैनेजेबल एटीट्यूड की वजह भू माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हो चुके है कि अब वो जिला कलेक्टर के फरमान की भी धज्जियां उड़ाने में तनिक भी गुरेज नही कर रहे है जिसमें ज्यादातर मामलों में परोक्ष रूप से तहसील की भी संलिप्तता देखने सुनने को मिलती है हालांकि हम कोई ऐसा प्रमाणिक दावा नहीं करते है।

ताजा मामला मेडिकल कॉलेज रोड का है जहां महीने भर पहले ही 7 जनवरी को रायगढ़ तहसीलदार लोमस मिरी की अगुवाई में राजस्व अमले द्वारा स्थानीय सरपंच के संरक्षण में लगभग 4 से 5 हजार वर्गफूट सरकारी भूमि पे हुए अवैध निर्माण को बुलडोजर चलवा कर ध्वस्त किया गया था तब लगा था कि क्षेत्र में अब भू माफियाओं की बेजा हरकतों पर थोड़ा विराम लग जायेगा किंतु अब जो तस्वीर सामने आई है वो तमाम कयासों के विपरीत है क्योंकि जिस सरकारी जमीन से बीते माह 7 जनवरी को रायगढ़ तहसीलदार लोमस मिरी ने पूरे लाव लश्कर के साथ जाकर बकायदा बुलडोजर चलवाकर सरकारी भूमि पे हो रहे अवैध निर्माण को जमींदोज किया था अब उसी सरकारी भूमि पर कथित तौर पर स्थानीय सरपंच के द्वारा पहले से भी बड़े भूखंड लगभग 11000 हज़ार वर्गफूट पर अवैध निर्माण कराया जा रहा है।

इस मामले में स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी की मानें तो स्थानीय सरपंच द्वारा सरकारी भूमि पर अवैध रूप एक कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है इसके एवज में उसके द्वारा कई लोगों से दुकान बनाकर देने के नाम पर सौदा भी किया गया है जिसमें शहर के कुछ सफेदपोश लोग भी शामिल है।
बहरहाल अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कलेक्टर कार्तिकेय गोयल के इस आदेश के बाद कि सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्ज़ा और निर्माण करने वालों को बख्शा नहीं जायेगा और उनके अवैध निर्माण के खिलाफ त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी, इस मामले में अब जिला राजस्व अमला, एक बार कब्ज़ा बेदखली कराने के बाद अब दूसरी बार जिला प्रशासन को चिढ़ाते हुए और बड़े सरकारी भू खंड पर हो रहे अवैध निर्माण पर कब कार्यवाही करता है…? हालांकि अब यह जानकारी भी मिल रही है कि इस मामले में तहसील कोर्ट द्वारा अनावेदक के विरुद्ध स्टे ऑर्डर भी जारी किया गया है बावजूद इसके कोर्ट के आदेश की अनदेखी करते हुए निर्माण कार्य कराया जा रहा है। जबकि स्टे ऑर्डर के अनदेखी पर तहसील कोर्ट और कार्य पालिक मजिस्ट्रेट के पास पर्याप्त संवैधानिक शक्तियां होती है जिससे वे स्टे ऑर्डर की अवमानना करने वाले की खिलाफ कानून सम्मत कार्यवाही कर सकें, लेकिन इस मामले में शुरू से ही तहसील कार्यालय का रवैय्या अन्य मामलों के बनिस्पत कुछ उदासीन ही देखने को मिला है।
वैसे प्रावधान तो यह भी है सरकारी भूमि पर आदतन कब्जा और निर्माण करने वाले के खिलाफ अगर कार्यपालिक मजिस्ट्रेट चाहें तो सीधे तौर पर एफआईआर भी दर्ज करा सकता है।