मीना बाजार को लेकर रस्साकसी का खेल जारी , निगम आयुक्त की “न के बाद” कागज़ी नौटंकी जोरों पर , सवाल है कि क्या “जिला प्रशासन” रेल्वे द्वारा जाहिर चिंता के निराकरण में सक्षम है अथवा नहीं …??

रायगढ़। मीना बाजार को लेकर शहर में माहौल थमने के बजाय और गर्माता ही जा रहा है जहां फिलहाल कोई भी पक्ष झुकने को तैयार दिखाई नहीं दे रहा है उल्टे हर बीतते घण्टे के साथ सोशल मीडिया से लेकर शहर की सियासत तक इसकी तपिश बढ़ते ही जा रही है, जनचर्चा तो अब इस बात की भी हो रही है कि मीना बाजार लगवाने में सत्ता से जुड़े एक आला नेता का सहयोग संचालक मिल रहा है जिससे मीना बाजार से सीधे तौर पर प्रभावित होने वाले सैकड़ों परिवारों में स्थानीय सत्ता के प्रति भी नाराजगी देखने सुनने को मिल रही हैं…
इस रस्साकसी के खेल में दो दिन पहले बड़ा ट्विस्ट तब आ गया जब निगम आयुक्त ने मीना बाजार संचालक द्वारा निगम से मांगे गए एनओसी को यह लिखते हुए देने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया कि सावित्री नगर क्षेत्र में आयोजन स्थल के एकदम करीब मुख्य सड़क निर्माणाधीन है और वहीं शहर से क्षेत्र को जोड़ने वाले रेल्वे का बोगदा पुलिया भी निर्माण कार्य चलने की वजह से बंद है जो कि तकनीकी रूप से देखा जाए तो प्रथम दृष्टया ही बिल्कुल वाजिब दिखाई देती हैं।


जिसके बाद सावित्री नगर क्षेत्र में लगने वाले मीना बाजार में ग्रहण लगते देख समर्थक पक्ष एफिडेविट में निगम के पार्षदों से समर्थन जुटाने की कवायद में जुट गया है हालांकि इस बीच बड़ी जानकारी यह भी आ रही है कि जितने पार्षदों की समर्थन में संख्या बताई जा रही है उतनी संख्या धरातल में दिखाई नहीं दे रही है और ऐसे भी आयुक्त अपना अभिमत “ना” दे चुके हैं जिसमें फेरबदल के लिए आम सभा में नियमत प्रस्ताव पारित करना होगा जो कि फिलहाल तकनीकी रूप से संभव दिखाई नहीं दे रहा है।

वहीं इस बीच सावित्री नगर क्षेत्र मीना बाजार के मामले में सबसे बड़ा रोड़ा रेल्वे रायगढ़ द्वारा जाहिर की गई चिंता है जो मीना बाजार के आयोजन के समय हर साल परिलक्षित होती है जब सैकड़ों की तादाद में लोग रेल्वे बोगदा पुलिया जाम होने की स्थिति में 24 घण्टे व्यस्त रहने वाले मुंबई हावड़ा रेल मार्ग पर स्थित रेल्वे क्रॉसिंग को पार कर मीना बाजार देखने आते हैं जो कभी भी भयावह हादसे में तब्दील हो सकती हैं जिसमें सैकड़ों जिंदगियां असमय काल का शिकार हो सकती हैं… ऐसे में अब तक खुद को तटस्थ रखने वाले जिला प्रशासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती अब भी यही है कि क्या जिला प्रशासन रेल्वे रायगढ़ द्वारा ज़ाहिर की गई चिंता अथवा आशंका के निराकरण में सक्षम है अथवा नहीं..??
वही ट्रैफिक व्यवस्था के मद्देनजर अगर मीना बाजार को देखा जाए तो भी एक मसला “रैक प्वाइंट” के रूप में ऐसा है जहां हफ्ते में कम से कम तीन से चार दिन रैक लगता हैं जहां भारी वाहनों के पूरे दिन आवाजाही होती है जिसका जिक्र जांच प्रतिवेदन में बकायदा तहसीलदार लोमश मिरी द्वारा भी किया गया है जिसके समाधान और प्रबंधन में जिला प्रशासन किसी भी रूप में सक्षम तो दिखाई नहीं देता है।
बहरहाल पूरा मुआमला अब अनुविभागीय अधिकारी गगन शर्मा के पाले में है जिन्हें अब इस मामले में निर्णय लेने से पूर्व , रेलवे रायगढ़ द्वारा जाहिर की गई चिंता के साथ साथ निगम के नकारात्मक अभिमत और क्षेत्र पार्षद व मीना बाजार से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने वाले क्षेत्रवासियों की आपत्ति और परेशानियों को भी ध्यान में रखना होगा…






