सुनील स्पंज प्रा.लिमिटेड की स्थापना से क्षेत्र का विकास नहीं बल्कि विनाश की रफ्तार होगी तेज …आदिवासी जमीन खरीदी की उच्चस्तरीय जांच होने से प्लांट स्थापना में लग सकता हैं ग्रहण

रायगढ़ । जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम सराईपाली में एक वृहद स्पंज प्लांट की स्थापना होने जा रही है और जिसके लिए इसी महीने के अंतिम हफ्ते में जनसुनवाई की तिथि भी निर्धारित कर दी गई हैं। जन सुनवाई के लिए जारी की गई अधिसूचना ही बड़ी हास्यास्पद है। किसी जमाने में निक्को स्टील के द्वारा 29.700 PTA के लिए जनसुनवाई कराई गई थी जो 2008 के आसपास शुरू हुई बीच में चली फिर बंद हो गई फिर कुछ समय के बाद में इसे बेच दिया गया और सुनील स्पंज प्राइवेट लिमिटेड ने नाम से अब इसे नए सिरे से स्थापित किया जा रहा है। एक तरह से सुनील स्पंज की स्थापना पूरे नए सिरे से की जा रही है ऐसे में इसे पुरानी को विस्तारित करना बताया जाना न सिर्फ हास्यास्पद है बल्कि औद्यौगिक स्थापना एवम विस्तार अधिनियम के प्रतिकूल भी है। इसकी ईआईए रिपोर्ट भी उसी पुरानी रिपोर्ट के आधार पर ही कट पेस्ट कर पेश कर दिया गया और सारे नियम कानून को ताक पर रख लाखों टन स्पंज उत्पादन के लिए अनुमति दे दी गई जन सुनवाई तो महज एक खानापूर्ति तक सिमट कर रह गई है।

इसके स्थापना के बाद पर्यावरण प्रदूषण, जल जंगल जमीन वन्य जीव सहित मानव जीवन पर पर पड़ने वाली प्रभाव पर ग्रामीणों की राय कोई मायने नहीं रखती हैं क्योंकि यह सब एक मैनेजमेंट से ज्यादा और कुछ नहीं है। और मैनेजमेंट तो हो चुका है जन सुनवाई तो महज एक खानापूर्ति है।
सुनील स्पंज के स्थापना से इसके चारो तरफ स्थित गांव सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। यह सब जान रहे हैं लेकिन विरोध के स्वर के आगे मैनेजमेंट के स्वर भारी पड़ जायेंगे और जन सुनवाई पूरी हो जायेगी। सुनील स्पंज के संचालक द्वारा निको से खरीदने के बाद अगल बगल की बड़े पैमाने पर आदिवासी जमीन का भी क्रय सारे नियम कानून को ताक पर रख कर लिया गया है। इसके जानकार बताते हैं कि सिर्फ आदिवासी जमीन खरीदी की जांच की मांग उठ जाए तो प्लांट स्थापना के पहले ही खटाई में पड़ सकती है।
जानकारों की माने तो यहां पश्चिम से पूर्व की ओर हवा चलती है और स्पंज आयरन उत्पादन होने से सराइपाली, गौरमुरी और उससे लगे गांव सीधे तौर पर औद्योगिक प्रदूषण से सर्वाधिक चपेटे में आएंगे। एक जानकारी के मुताबिक पर्यावरण प्रदूषण को लेकर आवाज उठाने वाले। इसे लेकर तैयारी कर रहे हैं और जन सुनवाई को स्थगित कराने जोर आजमाइश के लिए दस्तावेज तैयार करने में जुटे हुए हैं ताकि जन सुनवाई के पहले पहले इसे चुनौती दिया जा सके।
आगे आपको बताएंगे इस सुनील स्पंज के शुरू होने के बाद इस प्लांट में क्या क्या उत्पादन होगा और इसका सीधा प्रभाव कितना और किस तरह पड़ेगा। सुनील स्पंज प्लांट से महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर जंगल लगा हुआ है और इसके प्रदूषण से जल, जंगल , जमीन और वायु प्रदूषण और मानव जीवन पर कैसे और कितना भयंकर दुष्प्रभाव डालेगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं। आपको बता दें की इस क्षेत्र में औद्योगिक घनत्व पहले से ही उच्च सीमा पर है ऐसे में एनजीटी के एक आदेश के अनुसार तो किसी भी तरह से किसी प्लांट की स्थापना और विस्तार करना पूरी तरह से अवैध की श्रेणी में ही रखा जाएगा।








