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मेडिकल कॉलेज क्षेत्र में चल रहा अवैध अतिक्रमण का खेल.. आबंटन, आदिवासी व नजूल भूमि पर अवैध कब्जे व खरीदी बिक्री में अंचल के कुख्यात भू माफिया गिरोह सक्रिय.. तहसीलदार ने कहा जल्द कराएंगे क्षेत्र का भौतिक अवलोकन..और अतिक्रमण पाए जाने पर होगी कानूनी कार्यवाही…

रायगढ़, 6 जनवरी। विगत दो तीन सालों से मेडिकल कॉलेज के नियमित और सुचारू संचालन होने की वजह से क्षेत्र में स्थित जमीनों की कीमत में गुणात्मक इज़ाफा हुआ है जिसकी वजह से अंचल के कुख्यात माफियाओं की गिद्ध दृष्टि लंबे समय से इस क्षेत्र में रिक्त पड़ी आबंटन, आदिवासी, नजूल और वनभूमि पर गड़ी हुई थी जो अब बीते दो तीन महीनों से काफी सक्रिय हो गए है और जिला प्रशासन के आंख के नीचे खुलेआम तमाम सरकारी नियम कायदों की धज्जियाँ उड़ाते हुए क्षेत्र में स्थित आबंटन, आदिवासी नजूल और वनभूमि पर न सिर्फ अवैध रूप से अतिक्रमण कर रहे हैं बल्कि बकायदा अवैध रूप से खरीदी बिक्री भी कर रहे हैं जिसमें स्थानीय लोगों से मिली जानकारी की मानें तो कुछेक भू माफिया तो आबंटन भूमि और आदिवासी भूमि पर भी अवैध रूप मिट्टी पाटने का कार्य कर रहे हैं और धीरे धीरे जमीनों को टुकड़े में बेच रहे हैं।

सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि क्षेत्र में हो रहे अवैध अतिक्रमण और खरीदी बिक्री की जानकारी न तो राजस्व विभाग को है और न ही वन विभाग के अफसरों को इस ओर झांकने की फुर्सत मिल रही है। हालांकि इस मामले को लेकर जब हमारे संवाददाता ने क्षेत्र के पटवारी और आर आई से बात की तो दोनों ने ही पहली प्राथमिकता में क्षेत्र का मौका मुआयना करने की बात कही, जबकि तहसीलदार लोमस मिरी ने साफ तौर पर कहा कि वे क्षेत्र की भौतिक स्थिति की जल्द जांच करवाएंगे और अतिक्रमण पाए जानें पर विधिसम्मत कार्यवाही भी सुनिश्चित करेंगे।

प्रशासन की अनदेखी की शहर के कई इलाके स्लम में तब्दील

शहरों को बसाने के लिए सुनियोजित प्लानिंग के तहत काम किया जाना है, लेकिन रायगढ़ को देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। स्लम बस्तियों में रह रहे परिवारों को पीएम आवासों में शिफ्ट किया जाना है, लेकिन यहां तो एक के बाद एक नई स्लम बस्ती बसाई जा रही है। विनोबा नगर और कौहाकुंडा इसके उदाहरण हैं। अब यहां एक और अवैध बस्ती बनकर तैयार हो गई है। यहां के ज्यादातर मकान पिछले दो-तीन सालों में ही बने हैं जिसमें से करीब 90% मकान अवैध है।

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