अजब नगर निगम की , गजब कारस्तानी “नंबर 2” : SBJ प्रा.लिमिटेड और निगम की सांठगांठ से शहर के मध्य में हो रहा है अवैध निर्माण.. पूर्व आयुक्त ने तोड़ने हेतु जारी किया था नोटिस..मामले में प्रशासनिक कार्यवाही का इंतजार …??

रायगढ़। शहर को व्यवस्थित करने के बजाय बेतरतीब निर्माणों को अनुमति देकर हालात बिगाड़े जा रहे हैं। बीते चार से पांच सालों में दर्जनों ऐसे मामले सामने आ चुके है जहां निगम प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण पर नोटिस तो जारी किया गया था लेकिन कार्यवाही आज पर्यन्त नही हुई बल्कि अब हालात यह है कि लगभग तमाम जगह पर बगैर भवन अनुज्ञा के ही अथवा सरकारी भूमि पर गैर कानूनी तरीके से अनावेदक द्वारा स्थायी निर्माण किया जा चुका है। मध्य शहर में ऐसे कई मामले देखे जा सकते है जिनके ग्राउंड फ्लोर से फर्स्ट फ्लोर अधिक क्षेत्रफल में बना है। रायगढ़ शहर की सिकुड़ती सड़कों को देखकर लगता है कि दस साल बाद यहां चलना दूभर हो जाएगा।
ऐसा ही एक मामला शहर के बीचों बीच स्थित सुभाष चौक से महात्मा गांधी मार्ग में देखने को मिल रहा है जहां प्रथम दृष्टया SBJ प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा निगम और राजस्व दोनों ही विभाग से मिलीभगत कर अवैध रूप से निर्माण करने का मामला सामने आया है बता दें जिस जमीन पर निर्माण किया जा रहा है उसका कुल रकबा बिक्री से पूर्व 2400 वर्गफुट था जिसमें से 1200 वर्ग फुट जिसमे शांति लॉज का 160 वर्गफुट गली भी शामिल है वधू साड़ी के मालिक द्वारा अपने प्रतिष्ठान हेतु क्रय किया जा चुका है ऐसे में अब देखा जाए तो अब कुल 1200 वर्गफुट रकबा ही शेष बचा है और उसमें भी 160 वर्गफुट शांति लॉज की गली का हिस्सा है मतलब निर्माण हेतु शेष भूमि 1040 वर्गफुट ही बचती हैं लेकिन यही से शुरु होता है भ्रष्टाचार का खेल , जिसे SBJ के निर्देशक और निगम व राजस्व के तत्कालीन अधिकारी कर्मचारी द्वारा अंजाम दिया गया और अभी वर्तमान में भी निगम और जिला प्रशासन के नाक के नीचे खुलेआम शहर के बीचों बीच अवैध निर्माण किया जा रहा है।
बता दें कि भ्रष्टाचार के इस खेल में SBJ के निर्देशक द्वारा भवन अनुज्ञा हेतु जो आवेदन निगम में दिया गया था उसमें कुल रकबा 2400 वर्गफुट बताया गया है जिसमें से 1500 वर्गफुट में निर्माण हेतु अनुमति मांगी गई थी जबकि SBJ के हिस्से में निर्माण हेतु 1040 वर्गफुट भूमि ही शेष है उसके बाद तत्कालीन भवन अनुज्ञा अधिकारी प्रतुल श्रीवास्तव नगर निगम द्वारा औपचारिक भौतिक निरीक्षण की नौटंकी की गई और निर्माण हेतु शेष कुल 1040 वर्गफुट के रकबे में 1500 वर्गफुट की अनुमति प्रदान की गई। SBJ निर्देशक और निगम प्रशासन की मिलीभगत का भ्रष्टाचार यही नही थमा , अब नगर निगम, नजूल विभाग और टी एंड सी के द्वारा जो निर्माण हेतु अनुमति प्रदान की गई , उसमे भू तल में 775 वर्गफुट भूमि, प्रथम , द्वितीय और तृतीय तल में कुल 496 वर्गफुट भूमि का उल्लेख है लेकिन यहां वर्तमान में SBJ के निर्देशक और निगम प्रशासन की आपसी सांठगांठ से खुलेआम प्रशासनिक कायदे कानून की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध रूप से अनुमति प्राप्त रकबे से करीब डेढ़ गुने रकबे में व्यवसायिक भवन का निर्माण किया जा रहा है।
जनचर्चा तो यह भी है निगम प्रशासन को इस मामले में आंख मूंदे रखने के लिए शिष्टाचार भी किया जा चुका है जबकि पूर्व में मामले की शिकायत होने पर तत्कालीन निगम आयुक्त श्री जयवर्धने द्वारा अतिरिक्त निर्माण को तोड़ने की कार्यवाही करने का नोटिस भी भवन मालिक को जारी किया गया था जिसके जवाब में सूत्रों के मुताबिक SBJ के निर्देशक द्वारा बकायदा हलफनामा देकर स्वयं से अतिरिक्त निर्माण को तोड़ने का आश्वासन दिया गया था लेकिन अब निगम प्रशासन और SBJ के डायरेक्टर के मध्य शिष्टाचार की रस्म के बाद पुनः अवैध निर्माण किया गया है ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पूरे मामले में निगम आयुक्त, जिला प्रशासन और शासन कब और किस तरह की कार्यवाही सुनिश्चित करता है…???