जिंदल के लिए खेती की जमीन बन गई औद्योगिक भूमि..रायगढ एसडीएम ने बदला लैंड यूज..विधानसभा में हंगामें के बाद राजस्व मंत्री ने दिया जांच का आश्वासन.. महंत ने कहा : निलंबन से काम नही चलेगा , दोषी अधिकारियों के खिलाफ FIR कर जेल भेजना चाहिए…

रायगढ। जोरापाली में जिंदल स्टील के लिए करोडों की जमीन का लैंड यूज बदलने का मामला बुधवार को विधानसभा में उठा। खेती की जमीन को औद्योगिक भूमि बताकर एसडीएम रायगढ ने इसका लैंड यूज बदलने की अनुमति दी थी। भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर और नियम विरूद्घ बिना किसी अधिकार के लैंड यूज बदलने के इस गंभीर मामले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल व विधायक उमेश पटेल के तीखे सवालों से राजस्व मंत्री भी बचते रहे और उन्होंने इस मामले में जांच और आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिया है।

केलो परियोजना में भू अर्जन से लेकर अवार्ड पारित करने और काम लटकाने में बदनाम रहे राजस्व अफसरों ने इसमें भी गई गोलमाल किए हैं। बुधवार को विधानसभा में इसे लेकर राजस्व मंत्री भी विपक्ष के तीखे सवालों से घिर गए और संतोषजनक जवाब पेश नहीं कर सके। दरअसल केलो परियोजना में लैंड यूज में बदलाव को लेकर सदन में जमकर बहस हुई। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजस्व मंत्री ने पूछा कि बगैर आपकी जानकारी के यह सब कैसे हो गया ? राजस्व मंत्री और मंत्रिमंडलीय उप समिति की सहमति और अनुमोदन के बिना ही कैसे लैंड यूज बदल दिया गया है? यह तो आश्चर्य की बात है। विधायक व पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने राजस्व अफसरों के फर्जीवाड़े की पोल खोलते हुए बताया कि अगस्त 2024 में जोरापाली गांव में 22 खसरों जो कि कृषि भूमि है। इसे लैंड यूज बदलते हुए जिंदल कंपनी के नाम पर ट्रांसफर कर दिया है। कृषि भूमि को औद्योगिक भूमि के रूप में किन मापदंडों के तहत बदला गया है। लैंड यूज में जब बदलाव किया गया तब इसकी जानकारी राजस्व मंत्री को थी या नहीं। विधायक उमेश पटेल ने कहा कि लैंड यूज बदले जानकारी और दस्तावेज सामने आने के बाद हमने कलेक्टर रायगढ़ से इसकी शिकायत की थी। कलेक्टर ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। सदन में अपने आपको घिरते देख राजस्व मंत्री ने कहा कि इसकी जानकारी उसे नहीं है, मामले की जांच कराएंगे।
भारत माला परियोजना में गड़बड़ी हुई : टंकराम वर्मा
विधानसभा में चर्चा के दौरान राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने स्वीकार किया कि प्रदेश में भारतमाला परियोजना में अनियमितताएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि अधिसूचना जारी होने के बाद रकबे के टुकड़े कर दिए गए। पहले से अधिकृत भूमि का दोबारा भू-अर्जन किया गया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सरकार के जवाब पर असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि सिर्फ विभागीय जांच से दोषियों को बचने का मौका मिल जाएगा। यह एक बड़ा घोटाला है, जिसमें कई प्रभावशाली लोग शामिल हो सकते हैं। दोनों राजनीतिक दलों के लोग भी इसमें मिले हो सकते हैं। महंत ने कहा कि सिर्फ निलंबन से कुछ नहीं होगा, बल्कि दोषी अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेजना चाहिए। निलंबन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे दोषी कुछ समय बाद फिर बहाल हो जाते हैं और उसी तरह से काम करते हैं।
खबर स्तोत्र : दैनिक जनकर्म
