करोड़ों रुपये का जमीन घोटाला : शहर के तथाकथित व्हाईट कॉलर “बेरीवाल एंड फैमिली” ने दिया घोटाले को अंजाम… घोटाले में डॉक्टर, वकील सहित कई रसूखदार शामिल.. शासकीय अभिलेख से छेड़छाड़ कर दिया गया घोटाले को अंजाम..जिला मजिस्ट्रेट अथवा न्यायालय चाहें तो संलिप्त घोटालेबाजों के खिलाफ दर्ज करा सकते है FIR..

रायगढ़। जिला मुख्यालय रायगढ़ में 60 करोड़ के जमीन घोटाले का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। पूरा मामला शहर के कोतरा रोड चूना भट्टा का है। जहां नटवर बेरीवाल एंड परिवार ने फर्जी नामांतरण के जरिये सिंघानिया परिवार के नाम से दर्ज जमीन को अपने नाम कर लिया था। जबकि इस मामले में नजूल अधिकारी से लेकर एसडीएम और तहसीलदार न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई पूरी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि बेरीवाल परिवार द्वारा कराया गया नामांतरण पूरी तरह से फर्जी है। तत्कालीन एसडीएम न्यायालय भी बकायदा उक्त जमीन से बेरीवाल परिवार का नाम काटकर सिंघानिया परिवार का नाम पूर्व की भांति 1995-96 की स्थिति में दर्ज करने के आदेश पारित कर चुका है। क्योंकि जमीन के फर्जीवाड़े में शामिल बेरीवाल परिवार अब तक इस मामले में कोई भी दस्तावेज सक्षम न्यायालय में पेश नहीं कर पाये हैं। यह पूरा मामला लगभग 20 साल पुराना बताया जा रहा है।


शहर के सिंघानिया परिवार का कोतरा रोड में 4 एकड़ 62 डिसमिल पुस्तैनी जमीन है। उन्होंने मार्च 2012 में उक्त जमीन को एक रेड कारपेट बिल्डर को बेचने का सौदा किया ! मगर बिक्री नकल निकालते समय 1995-96 में उन्हें मालूम चला कि उनके खाते में कुल 3 एकड़ 32 डिसमिल जमीन ही दर्ज है, डेढ़ एकड़ जमीन किसी अन्य ने अपने नाम ट्रांसफर करा लिया है। ऐसे में उनके द्वारा जब तहसील कार्यालय से अपने जमीन संबंधी डिटेल निकलवाया गया था तो पता चला कि उक्त जमीन को नटवर बेरीवाल और परिवार ने अपने नाम से दर्ज करा लिया है जबकि सिंघानिया परिवार का कहना है कि उनका बेरीवाल परिवार से कभी कोई किरायानामा या बिक्रीनामा हुआ ही नहीं है। ऐसे में जब यह पूरा मामला तत्कालीन कलेक्टर अमित कटारिया के पास पहुंचा तो उन्होंने तत्कालीन नजूल अधिकारी ए.के.धृतलहरे को मामले की जांच के लिए विशेष जांच अधिकारी नियुक्त किया। जिसके बाद नजूल अधिकारी, एसडीएम और तहसीलदार की टीम ने सिंघानिया परिवार और बेरीवाल परिवार को जमीन संबंधी अपने-अपने दस्तावेज और रिकार्ड के साथ प्रस्तुत होने का नोटिस जारी किया। जिसमें प्रकरण की सुनवाई करते हुए तहसीलदार ने अपने जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि सिंघानिया परिवार के जमीन के नामांतरण का कोई भी केस या रिकार्ड तहसील कार्यालय में नहीं है।


वहीं एसडीएम ने भी तहसीलदार के ही प्रतिवेदन को उचित ठहराया। इस प्रकरण में सिंघानिया परिवार ने अपने संपूर्ण दस्तावेज नियम समय से पहले ही नजूल अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर दिये जबकि नटवर बेरीवाल परिवार न तो जमीन से संबंधित कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये और न ही किसी भी पेशी में बुलाये जाने पर उपस्थित हुए। इस आधार पर तत्कालीन नजूल अधिकारी ने अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट लिखा कि नटवर बेरीवाल एंड परिवार द्वारा लगातार पेशी में बुलाये जाने पर भी उपस्थित नहीं हुए और न ही कोई कागजात प्रस्तुत किये। इससे स्पष्ट होता है कि उनके द्वारा नामांतरण फर्जी रूप से दर्ज कराया गया है। तत्कालीन नजूल अधिकारी ने इस मामले में नटवर बेरीवाल परिवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किये जाने के भी निर्देश दिये गये।


तहसीलदार, एसडीएम और नजूल अधिकारी के जांच प्रतिवेदन के आधार पर तत्कालीन कलेक्टर अमित कटारिया ने भी आदेश पारित किया कि उक्त जमीन के नामांतरण का कोई रिकार्ड शासकीय दस्तावेजों में नहीं है। अतः भूस्वामी सिंघानिया परिवार उचित न्यायालय में आवेदन कर अपनी जमीन को वापस पा सकता है। जिसके पश्चत सिंघानिया परिवार ने एसडीएम न्यायालय में संपूर्ण केस प्रस्तुत किया और जमीन अपने नाम करने की मांग की ! मगर वहां भी नटवर बेरीवाल एंड परिवार ने केस को विलंबित करने और न्यायालय को गुमराह करने के लिए अनेक प्रकार के हथकंडे अपनाये लेकिन अंततः तत्कालीन एसडीएम भागवत जायसवाल ने अपने आदेश में बेरीवाल परिवार का नाम काटकर सिंघानिया परिवार का नाम जोड़ने के आदेश दिये और जमीन का रिकार्ड सिंघानिया परिवार के नाम 1995-96 की स्थिति में पूर्व की तरह करने के आदेश दिये।
इतना सब होने के बाद भी नटवर बेरीवाल एंड परिवार इस मामले को राजस्व मंडल लेकर चला गया मगर वहां भी अब तक वे कोई भी वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके हैं। सिर्फ और सिर्फ प्रकरण को लंबा खिंचने की कोशिश की जा रही है। वर्तमान में बेरीवाल परिवार की ओर से अधिवक्ता ओमप्रकाश बेरीवाल के देहांत के बाद उनके बेटे तरूण बेरीवाल तो स्वर्गीय पूनम चंद्र अग्रवाल की ओर से उनके बेटे डॉ. मनीष बेरीवाल, राजेश अग्रवाल इस जमीन पर अपना दावा ठोक रहे हैं। बता दें कि ऐसे मामलों में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट अथवा सक्षम न्यायालय चाहें तो मामले में संलिप्त घोटाले बाजों के खिलाफ धोखाधड़ी की वांछित धारा के तहत विधिसम्मत कानूनी कार्यवाही भी दर्ज करा सकता है।
इस खबर को प्रसारित करने के पीछे हमारा एकमात्र उद्देश्य सिर्फ भूमि स्वामियों को सतर्क करना है कि जो जमीन आज उनके नाम से दर्ज हैं, जालसाजों के फर्जीवाड़े के कारण किसी दूसरे के नाम न चढ़ जाये। इसलिए समय-समय पर सतर्कता बरतें और अपनी जमीन संबंधी अपने खातों की जांच कराते रहें। क्योंकि जब से रायगढ़ में जमीनों के दाम बढ़े हैं तब से इस तरह के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है।




