
रायगढ़। स्थानीय समाचार पत्रों और डिजिटल मीडिया पर प्रकाशित व प्रसारित खबरों की मानें तो रायगढ़ नगर निगम क्षेत्र के करीबन 50 एकड़ सरकारी भूमि पर भू माफियाओं का अवैध कब्जा और निर्माण हो चुका है दर्जनों बार खबर प्रकाशन और शिकायत के बावजूद न तो निगम प्रशासन इन अवैध कब्जाधारियों के ऊपर कोई कार्यवाही करता है और न ही रायगढ़ का राजस्व विभाग ! ज्यादातर मामलों में विभागीय कार्यवाही केवल नोटिस अथवा पत्राचार तक ही अटककर रह जाती है।

जिला मुख्यालय की खस्ताहाल स्थिति को देखकर अब मुख्यालय से लगे क्षेत्रों में भी धड़ल्ले से सरकारी भूमि पर भू माफियाओं द्वारा खुलेआम अवैध कब्जे और निर्माण किए जा रहे है लेकिन प्रशासन द्वारा कहीं कोई कार्यवाही नही की जा रही है ताजा मामला शहर से लगे छातामुड़ा गांव का है जो राजस्व की दृष्टि से मामला पुसौर तहसील में आता है…

जहां पूरे मामले की औपचारिक शिकायत दो महीने पूर्व ही कलेक्टर जनदर्शन के दौरान की चुकी है जिसमें कार्यवाही न होने पर पीड़ित ग्रामीण द्वारा सूबे के वित्त मंत्री और रायगढ़ विधायक से मुलाकात कर मामले की लिखित शिकायत की गई थी जिस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए मंत्री ओपी चौधरी द्वारा SDM रायगढ़ को रिमार्क करते हुए निर्देशित किया गया था कि मामले में 15 दिवस के भीतर ही जांच और कार्यवाही सुनिश्चित कर अवगत कराया जाएं… लेकिन रायगढ़ के प्रशासनिक उदासीनता की पराकाष्ठा की इंतिहा देखिए कि सूबे के संवदेनशील मंत्री ओपी चौधरी जी जिस मामले में जांच एवं कार्यवाही हेतु अल्टीमेटम के साथ बकायदा डेडलाइन देते है उस मामले में भी संबंधित विभागीय अधिकारी केवल जांच रिपोर्ट और प्रकरण दर्ज कर लेने की बात कहकर करीब महीने भर से टाल मटोल कर रहे है ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम आदमी को अपने रोजमर्रा के कार्यों के लिए इन अफसरान द्वारा कितनी मानसिक प्रताड़ना दी जाती होगी …? और वह भी तब जब सारा प्रकरण क्रिस्टल क्लियर हो, जहां अनावेदक द्वारा गैर कानूनी रूप से सरकारी भूमि पर न सिर्फ कब्जा और अस्थाई निर्माण किया गया है बल्कि पीड़ित आवेदक के घर व खेत जाने वाले आम सार्वजनिक रास्ते को भी बंद कर दिया गया है…. कायदे से देखा जाए तो ऐसे मामलों में राजस्व विभाग को सरकार द्वारा तमाम शक्तियां और अधिकार हासिल है जिसके आधार पर वे ऐसे मामले में जांच उपरांत कब्जा बेदखली की कार्यवाही हेतु सक्षम है लेकिन इस प्रकरण के साथ पुसौर तहसील में करीब आधा दर्जन से अधिक प्रकरण है जहां सरकारी भूमि गैर कानूनी रूप से भू माफियाओं द्वारा अवैध कब्जा , निर्माण के साथ साथ सरकारी भूमि की खरीदी बिक्री तक की जा रही है लेकिन कार्यवाही के नाम पर शून्य बटा सन्नाटा ही देखने को मिलता है।
