रायगढ़ – क्लोज़र नोटिस या पर्यावरण विभाग की प्रशासनिक नौटंकी…? क्लोज़र नोटिस की मियाद 15 दिन पहले ही हो चुकी हैं खत्म…तालेबंदी करने की जगह पर्यावरण अधिकारी ने शुरू किया ‘तारीख़’ का खेल….खदान संचालकों का कहना कि चढ़ावा दे दिया गया है कोई कार्यवाही नहीं होगी…ऑडियो क्लिपिंग हमारे पास सुरक्षित…लीगल व तकनीकी सलाहकारों से चर्चा के बाद मामलें की लिखित शिकायत ACB में की जाएगी…बेनकाब होने कई भ्रष्ट अफसरों के चेहरे

रायगढ़ – जिले के टीमरलगा-गुड़ेली क्षेत्र में स्थित क्रशर संचालकों की मनमानी व धनबल व राजनीतिक रसूख के बूतें की जा भर्राशाही इम दिनों अपने चरम पर हैं। यहाँ संचालित हो रहें करीब दर्जन भर क्रशर व खदानें तो ऐसे भी हैं जहाँ संचालित हो रही खनन की गतिविधियां पूरी तरह से अवैध हैं। क्षेत्र में संचालित कई क्रशर संचालक (अनिल, बंटी व अन्य )तो ऐसे हैं लीज़ एरिया के बाहर धड़ल्ले से खनन कर रहें है और उस एरिया को अंदर बताकर ताबड़तोड़ रॉयल्टी जारी कर लाखो-करोड़ो रूपये का अवैध मुनाफा अर्जित कर रहा है तो कोई खदान की लीज़ अवधि पूरी होने के बावजूद विभागीय सांठगांठ कर बिना माइन एरिया को क्लोज किये ही उसी रकबे पर नए सिरे से क्रशर का संचालन कर रहा है जो कि पूरी तरह अवैध हैं पर जिला खनिज विभाग इन कथित सफेदपोश रसूखदार क्रशर व खदान संचालकों के खिलाफ कभी भी कोई बड़ी कार्यवाही नहीं करता है।

इसी कड़ी में महीने भर पूर्व 25 नवम्बर को जिला पर्यावरण क्षेत्रीय अधिकारी श्री वर्मा ने क्लोज़र नोटिस जारी करते हुये खदानों के संचालन व रखरखाव में बरती जा रही पर्यावरणीय नियमों व गाइडलाइन्स लापरवाही व अव्यवस्था के लिए क्षेत्र के 10 खदान संचालकों श्री श्याम लाइम्स, बालाजी लाइम्स, माँ चंद्रहासिनी लाइम्स, आरके लाइम्स, श्रीराम लाइम्स, गायत्री इंडस्ट्रीज, माँ काली लाइम्स, छत्तीसगढ़ मिनरल्स, गड़ोदिया लाइम्स सहित जगदम्बा स्टीम एंड पॉवरट्रैक को 15 दिनों का डेडलाइन दिया गया था और इस दौरान तमाम पर्यावरणीय अव्यवस्था को दुरुस्त करने का अल्टीमेटम दिया था जिसमे सबसे मुख्य रूप से चिमनी की ऊंचाई शामिल थी।
बता दें कि पर्यावरण विभाग द्वारा जारी क्लोज़र नोटिस की मियाद करीब 15 पहले ही खत्म हो गई है और उक्त 10 खदानों में से किसी एक खदान संचालक ने भी पर्यावरण विभाग के निर्देशानुसार शत प्रतिशत सुधार नहीं किया है बल्कि ज़्यादातर खदान संचालक तो असज पर्यंत भी उसी पुराने ढर्रे पर खदान का संचालन कर रहे हैं जबकि नियमानुसार अब तक क्लोज़र नोटिस की अवमानना करने को लेकर पर्यावरण विभाग चाहता तो उक्त सभी खदानों में तालेबंदी की कार्यवाही कर सकता था। वहीं जब इस विषय मे हमारे संवाददाता ने उन्ही 10 खदान संचालको में से एक युवा संचालक से बात की तो उनका डंके की चोट पर कहना था कि वो लोग बकायदा सभी संबंधित विभागों व अधिकारियों को चढ़ावा देते है इसलिए उन पर कोई कार्यवाही हो ही नहीं सकती हैं बस जब कोई अखबार अथवा न्यूज़ पोर्टल खबर चलाता हैं तो उनके जेब पर अतिरिक्त बोझ बढ़ जाता हैं और उन्हें संबंधित अफसरों को एक्सट्रा मैनेज करना पड़ जाता है। हालांकि हम यहाँ स्प्ष्ट बता देना चाहते है कि हम अभी अपने लीगल व तकनीकी सलाहकार से उक्त नकदी लेनदेन की बातचीत पर राय मशविरा कर रहे हैं जिसमें तमाम कागजी व डिजिटल साक्ष्यों के संकलन के बाद इस मामलें को एन्टी करप्शन ब्यूरो को देने की तैयारी में हैं जिसके बाद ही इस पूरे चढ़ावे व नकदी लेनदेन में शामिल अफसरों व कारोबारियों की हकीकत व चहेरे सार्वजनिक रूप से आम जनता के सामने आ जाएंगे।
नोट – हमारे पास उक्त युवा क्रशर व खदान संचालक से मोबाइल पर की गई बातचीत की ऑडियो क्लिपिंप सुरक्षित हैं जिसमे वो अफसरों को नकदी देने की बात कर रहे हैं।