रायगढ़ – जाँच में भी पकड़ी गई गड़बड़ी : मार्कफेड धांधली का मामला, मिलर्स से मिलीभगत कर तीन महीने के बदले एक महीने की बैंक-गारंटी लेकर दिया था धान… मिलर्स सहित डीएमओ व कर्मचारी पर दर्ज किया जा सकता है 420 का मामला…रायगढ़ के “सत्यम बालाजी” ने 2.60 करोड़ और बरमकेला के “जय भवानी” ने 3 करोड़…..

रायगढ़ – मिलर के साथ मिलीभगत कर धान उठाव के लिए तीन के बदले एक महीने की बैंक गारंटी लेकर करोड़ों का धान देने वाले मार्कफेड के अफसर, कर्मचारी और मिलर पर जल्द कार्रवाई हो सकती है। एक दैनिक राष्ट्रीय अखबार के स्थानीय एडिशन में 4 दिसंबर को गड़बड़ी का समाचार प्रकाशित होने के बाद कलेक्टर भीम सिंह द्वारा गठित टीम ने जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेज दी है।

जांच में अफसर व कर्मचारियों की मिलीभगत की पुष्टि हुई है। शासन जल्द ही डीएमओ और कर्मचारी पर कार्रवाई कर सकता है। मामले में राइस मिलर पर भी एफआईआर हो सकती है। कलेक्टर भीम सिंह ने बताया कि मार्कफेड द्वारा तीन के बदले एक महीने की बैंक गारंटी लेकर तीन महीने की बताना अफसर व कर्मचारी की चूक है। इस गड़बड़ी का पता चलने के बाद जांच कराई गई थी। जांच में पाया गया कि बैंक गारंटी की एंट्री होने से पहले इसकी नोटशीट बनती है। इस पर लेखा अधिकारी और फिर डीएमओ के हस्ताक्षर होते हैं। इसके बाद ही डाटा एंट्री ऑपरेटर सॉफ्टवेयर पर उसकी एंट्री करता है। एंट्री से पहले नोटशीट पर किसी के हस्ताक्षर नहीं थे। कुछ दिनों के बाद गलती सुधार कराकर मार्कफेड ने संबंधित मिलर्स से तीन महीने की बैंक गारंटी ली और उसकी एंट्री कर दी लेकिन इस नोटशीट पर भी किसी के हस्ताक्षर नहीं हैं। जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। संबंधितों पर क्या कार्रवाई होगी इसका फैसला स्टेट मार्कफेड करेगा।
मिलर्स पर भी हो सकती है एफआईआर
इस मामले के जानकार अफसर बताते हैं कि इस तरह की गलती पर शासन मार्कफेड के डीएमओ और कर्मचारी को निलंबित कर सकता है। इसके साथ ही नियम विरूद्ध तीन महीने के बदले एक महीने की बैंक गारंटी देकर करोड़ों रुपए का धान उठाने वाले दोनों मिलर्स के विरूद्ध धोखाधड़ी का अपराध दर्ज हो सकता है। प्रशासन इस बात की भी जांच कर रहा है कि इस तरह की गड़बड़ी के मामले और तो नहीं हैं। अफसरों को आशंका है कि ऐसी गड़बड़ी दूसरे मिलर्स ने भी की होगी।

यह था मामला
समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान की मिलिंग वाले राइस मिलर को धान के उठाव की मात्रा के हिसाब से तीन महीने की बैंक गारंटी देनी होती है। ऐसा इसलिए होता है ताकि धान के उठाव के बाद मिलर चावल न दे तो उसकी भरपाई हो सके। सत्यम बालाजी रायगढ़ ने 2.60 करोड़ और जय भवानी राइस मिल बरमकेला ने 3 करोड़ की एक-एक महीने की सात बैंक गारंटी मार्कफेड को दी और धान उठाया। मार्कफेड के अफसर व कर्मचारी ने इसे तीन महीने की बैंक गारंटी बताकर बोगस एंट्री कर ली। जब इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू और शासन से की तो अफसर ने तुरंत मिलर्स से तीन महीने की बैंक गारंटी ले ली।