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यूक्रेन में फँसे रायगढ़ के युवाओं की आपबीत : चार दिनों से भूखे प्यासे बंकर में फँसे रायगढ़ के युवा रातभर जागने को मजबूर..बम विस्फोटों से उठने वाले धुएँ से साँस तक लेना हो रहा मुश्किल..मेडिकल स्टूडेंट्स कफील खान ने पीएम मोदी से मदद के लिए गुहार लगाते हुए कहा कि उनकी व वहाँ उनके साथ फँसे सैकड़ों हिंदुस्तानियों की जिंदगी उनके ही भरोसे हैं जल्द करें मदद

रायगढ़ – रूस-यूक्रेन के बीच बीतें 4 दिनों से चल से महायुद्ध की वजह से वहाँ मेडिकल की पढ़ाई करने गए रायगढ़ जिलें के 10 युवा यूक्रेन की राजधानी कीव शहर के मेट्रो स्टेशन व बंकर में शरण लिए हुए हैं। वजह हैं बाहर रूसी सेना द्वारा की जा भारी बमबारी व मिसाईल हमलें। हमसे बातचीत के दौरान वहाँ फँसे धरमजयगढ़ के मशहूर डॉक्टर खुर्शीद खान के पुत्र कफील खान व उनकी पुत्री शिफा खान ने बताया कि रूसी सेना द्वारा पूरे रात भर बमबारी की गई हैं और उनके साथ सैकड़ों भारतीय युवा (मेडिकल स्टूडेंट्स) भूखे-प्यासे बम व मिसाईल हमलों के धमाकों के बीच दहशत के साये में पूरी रात जागते रहें।

बंकर में शरण लिए रायगढ़ के कफील ने बताया कि जहाँ वो लोग फ़िलहाल रह रहें हैं उस क्षेत्र के आसपास हर तरफ रूसी सेना द्वारा भारी बमबारी की जा रही हैं जिससे उनको अब अपनी जान का खतरा महसूस होने लगा है। हर बीतते घण्टे के साथ वहाँ रह रहें युवाओं को अपना Survival मुश्किल लगने लगा है क्योंकि उनके पास खाने-पीने की जो सुखी सामग्री हैं वो अब एक-दो दिन के लिए ही बचीं हैं इस वजह से वो लोग एक टाइम खाकर ही अब अपना गुजारा करने को मजबूर है और भारतीय एम्बेसी से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा हैं जबकि यहाँ फँसे लोगों के लिए हर बीतता घण्टा मुश्किल होता जा रहा है। रायगढ़ की शिफा खान ने बताया कि आसपास लगातार बमबारी होने की वजह से पूरे ईलाके में धुंआ ही धुँआ हैं जिसकी वजह से बंकर के बाहर हो चाहें अंदर अब साँस लेने में भी उन्हें अब कठिनाई होने लगी हैं ऐसे में अब उनकी एकमात्र उम्मीदें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पर ही टिकी हुई हैं कि वो अगर ठान ले तो उन्हें और वहाँ फँसे सैकड़ों भारतीय युवाओं की जिंदगी बचा सकते हैं। आगे कफील खान ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विनम्र अपील करते हुए कहा कि उनकी व वहाँ फँसे सैकड़ों भारतीय युवाओं की जिंदगी अब उनके ही भरोसे हैं ऐसे में उन्हें उनकी और वहाँ फँसे भारतीय लोगों तक जल्द मदद पहुँचाने की कोशिश करनी चाहिए और उनकी सुरक्षित वतन वापसी करवाने की व्यवस्था को जल्दी अमल में लाना चाहिए।

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