
जशपुर – कांसाबेल के टाँगरगाँव स्टील-प्लांट एपिसोड को लेकर 2 दिन पहले आयोजित पंचायत में उस वक्त सियासी पारा चढ़ गया था जब पूर्ववर्ती प्रदेश सरकार (भाजपा) में मंत्री रहें गणेश राम भगत की मौजूदगी व बोलबचन से आक्रोशित होकर वहाँ मौजूद सैकड़ों महिलाओं ने उनकी भूमिका पर सवालिया निशान लगाते हुए उनके खिलाफ न सिर्फ जमकर नारेबाजी की बल्कि उनपर धावा बोलने की भी कोशिश की, जिसके बाद पूर्व मंत्री भगत को वहाँ से अपनी इज्जत बचाकर भागने पर मजबूर होना पड़ा था इस घटना से पूरे जशपुर जिले में भाजपा की खूब फज़ीहत हुई हैं।

वही अब इस घटना के बाद जशपुर के छोटे राजा व पूर्व विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव ने हुंकार भरते हुए कहा है कि “कोई भी कंपनी वाले ज़्यादा मुगालते में न रहें , एक बार मैं पूर्ण-स्वस्थ हो गया उसके बाद जशपुर वनांचल का दोहन करने की सोच रखने वालों को जशपुर में कदम रखने से पहले अपना बीमा कराने की जरूरत पड़ेगी।
जशपुर के छोटे राजा युद्धवीर सिंह जूदेव के इस ताज़ा बयान को एक बार फिर जशपुर सहित पूरे प्रदेश भाजपा की राजनीति में होने वाले बड़े उलटफेर की संभावनाओं से जोड़कर देखा जा रहा है।
जशपुर सहित अंचल की राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वाले राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक हालिया घटना से यही एक बात साबित होती हैं कि तो जंगल मे शेर कही गया हो तो बंदर की की मौज हो जाती हैं।
जी हाँ , जशपुर के सियासी नब्ज़ को समझने वालों का मानना हैं कि जशपुर सियासत के शेर युद्धवीर चंद्रुपर विधान सभा मे व्यस्त क्या हुआ जशपुर वनांचल में बंदरों की मौज हो गई। स्टील प्लांट के विरोध को लेकर स्थानीय भाजपा से जुड़े नेताओ की मुँह की खानी पड़ी…स्टील प्लांट में विरोध के बहाने दुबे जी बनने के प्रायसो को झटका तब लगा जब मुर्दाबाद के नारे लगाकर दुबे जी बनाकर वापस भेज दिया। इस घटना से जशपुर सहित रायगढ़ अंचल में भी भाजपा की साख को गहरा नुकसान पहुंचा हैं।
प्रदेश भाजपा की बुरी हालात के लिए जिम्मेदार युद्धवीर सिंह जूदेव की नाराजगी को माना जा रहा। पिता की मूंछों ने भाजपा को सत्ता के करीब पहुंचाया औऱ बेटे की नाराजगी ने प्रदेश भाजपा को ऐसी शून्यता के करीब पहुँचा दिया जिसे भर पाना युद्धवीर के सिवाय किसी के बस में नही। जशपुर के महलों से निकलने वाली बयानों की हवा पूरे प्रदेश में भाजपा के लिए फिंजा बदल सकती है। युध्दवीर सिंह जूदेव प्रदेश के यूथ के लिए आइकॉन माने जाते है प्रदेश के भाजपाई मठाधीशों को इनकी लोकप्रियता से भय है। युद्धवीर की साफगोई और स्पष्ट बयानबाजी का तोड़ कांग्रेस के पास भी नही है। जशपुर से दो सौ किमी दूर बैठे युद्धवीर जशपुर क्षेत्र की नब्ज थामे है उनका इशारे से सियासत के गलियारे हिल जाया करते है। स्टील प्लांट के विरोध के जरिये स्थानीय भाजपा से जुड़े नेता ने चौधरी बनने की कोशिश क्या की उंन्हे मुर्दाबाद के नारों के साथ उल्टे पैर वापस लौटने पर मजबूर होना पड़ा।