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एसडीएम ऑफिस के बिगड़ैल बाबू गोविंद प्रधान की मुश्किलें बढ़ना तय.. कल देर शाम मैरिज सर्टिफिकेट लेकर पहली पत्नि पहुंची थी थाने… उधर दूसरी पत्नी भी कर चुकी राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत.. झूठा हलफनामा देकर दूसरी शादी करने और दैहिक शोषण करने का आरोप.. पूरे मामले में पुलिस की कार्यशैली ने दिलाई ब्रिटिश शासन की याद..जब सरकारी अफसर पर शिकायत के बावजूद नही होती थी कार्यवाही..

सिविल सेवा अधिनियम की तहत जा सकती है बिगड़ैल बाबू की नौकरी..

रायगढ़।। जिला मुख्यालय के एसडीएम कार्यालय के बिगड़ैल बाबू गोविंद प्रधान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। तीन दिन पहले ही दो शादी के मामले में कोर्ट की सुनवाई के दौरान वकील पर हमला करने के कारण जेल जाना पड़ा, वही अब उसकी पत्नी दूसरी शादी की शिकायत लेकर कल देर शाम थाने पहुंच गई। उधर दूसरी पत्नी महिला आयोग में शिकायत कर चुकी है कि झूठ बोलकर उससे ब्याह रचाया और तब से उसका लगातार दैहिक शोषण करता रहा।

बुधवार को आरोपी की पहली पत्नी अपना मैरिज सर्टिफिकेट लेकर थाने पहुंची और थाने में आवेदन दिया कि उसके पति ने उसके रहते हुए झूठ बोलकर दूसरी शादी कर ली है। पत्नी ने आरोप लगाते हुए आरोपी प्रधान के दूसरे शादी की सर्टिफिकेट के साथ दूसरी पत्नी द्वारा महिला आयोग में की गई शिकायत पत्र को भी संलग्न किया है जिसमे दूसरी पत्नी ने उसपर झूठ बोलकर संबंध बनाने और पहली पत्नी के रहते शादी करने की शिकायत की है जिसकी सुनवाई भी की गई है। पहली पत्नी सीमा से उसका विवाह 16 जुलाई 2001 को रायगढ़ न्यायालय में हुआ था वहीं दूसरी शादी 12 दिसंबर 2021 को टिकरापारा आर्यसमाज मंदिर में संपन्न हुआ था। अब यह आरोप है कि गोविंद प्रधान ने बिना पहली पत्नी को तलाक दिए, दूसरी पत्नी से तत्संबंध में जानकारी छिपाकर, झूठ बोलकर शादी की।

कानून के जानकारों की मानें तो सरकारी कर्मचारियों के लिए बनी आदर्श आचरण संहिता में स्पष्ट प्रावधान है कि एक पत्नी से बिना विधिक रूप से लग हुए या पत्नी के मृत्यु हुए बिना कोई शासकीय कर्मचारी दूसरी शादी करता है तो उसे सेवा से बर्खास्त करने का प्रावधान है।

इसी नियम के आधार पर कहा जा रहा है कि अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय के बाबू प्रधान की नौकरी पर आंच भी आ सकती है। हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि किसी भी कर्मचारी को यदि 48 घंटे से ज्यादा न्यायिक हिरासत होती है तो उसे निलंबित भी किया जाता है लेकिन यह कार्रवाई भी अभी तक नहीं की गई है।

इस संबंध में जब मीडिया ने रायगढ़ के एसडीएम से बात की तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में थाने से प्रतिवेदन मंगाया गया है जैसे ही उन्हें यह मिल जायेगा सस्पेंशन ऑर्डर निकल दिया जाएगा। उन्होंने प्रधान द्वारा दो शादी किए जाने संबंधी सवाल पर कहा कि उन तक इस संबंध में अबतक शिकायत नहीं पहुंची है इसलिए इस प्रकरण में न तो कोई विभागीय जांच की शुरुआत हुई है न ही कोई प्रकरण बना है।

आरोपी बाबू गोविंद प्रधान पहली बार तब चर्चा में आया जब वकीलों के आंदोलन के सरन कर्मचारियों को संबोधित करते हुए वकीलों को पीटने का आह्वान कर दिया था। उनका यह वीडियो काफी वायरल भी हुआ था। इसके बाद वकीलों ने इनके मामले में केस न लड़ने की बात कही थी। इधर जब पत्नी के इनपर मेंटीनेंस का केस किया तो प्रधान अपनी वकालत खुद कर रहे थे लेकिन कोर्ट रूम में वकील से ही हाथापाई पर उतर गए और न्यायालय की शिकायत के बाद जेल जाना पड़ा।

इधर प्रधान के ऊपर दूसरी पत्नी ने पहले ही धोखे से शादी करने का आरोप लगाकर महिला आयोग से शिकायत की हुई है जिसकी सुनवाई भी रायगढ़ में हो चुकी है। दूसरी पत्नी ने तो प्रधान के ऊपर झूठ बोलकर शादी करने, शारीरिक संबंध बनाने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए हैं।

एसडीएम ऑफिस के बड़बोले बिगड़ैल बाबू गोविंद प्रधान के मामले में गौर किया जाए तो पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगना लाज़िमी है जहां दोनों पत्नियों द्वारा लिखित शिकायत किए जाने के बावजूद पुलिस द्वारा आज पर्यंत कोई कार्यवाही न किया जाना ब्रिटिश शासन काल की याद दिलाता है जब सरकारी अफसर , कानून और पुलिस से ऊपर का रुतबा रखा करते थे और पुलिस उनके सरकारी रसूख के चलते हमेशा कार्यवाही करने से पीछे हट जाया करती थी ऐसा ही ठीक गोविंद प्रधान के मामले में आज पर्यंत पुलिस करती रही है जहां जुलाई 2021 के पहली पत्नी की लिखित और दस्तावेजी शिकायत के बावजूद तत्कालीन थाना प्रभारी द्वारा गोविंद प्रधान के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई थी जबकि मामला स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी का था क्योंकि गोविंद ने अपनी पत्नी को जानकारी दिए बिना ही उसके आधार कार्ड और बैंक खाते का प्रयोग कर अपनी पत्नी के नाम पर क्रेडिट कार्ड इशू करा लिया था जिसका उपयोग वह स्वयं करता था मामले की जानकारी मिलने पर जब पीड़ित पत्नी द्वारा चक्रधरनगर थाने में लिखित शिकायत की गई तो तत्कालीन थाना प्रभारी द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई, इसी तरह दूसरी पत्नी को जब गोविंद के पहले विवाह और उससे शादी के दौरान झूठा शपथपत्र देने की जानकारी मिली तो उसके द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग के जरिए पुलिस में शिकायत किया गया था कि गोविंद ने उसे झूठ बोलकर और प्रथम विवाह की जानकारी छुपाकर उसका दैहिक शोषण किया है लेकिन तब भी पुलिस ने किसी प्रकार की कोई कार्यवाही करना उचित नही समझा। ऐसे में कायदे से देखा जाए तो दोनो मर्तबे तत्कालीन थाना प्रभारियों की लापरवाही की वजह से ही गोविंद कानूनी कार्यवाही से बचा रहा।

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