रायगढ़

भाजपा के कद्दावर युवा नेता मुक्तिनाथ “बबुआ” पर जानलेवा हमला करने वाले सभी आरोपी वारदात के 11 दिन बाद भी कोतवाली पुलिस की पकड़ से बाहर.. कोतवाली पुलिस की सुस्त कार्यशैली से आम जनता में बढ़ रहा है असंतोष…

रायगढ़। एक ओर रायगढ़ शहर में बढ़ते क्राइम ग्राफ ने आम आदमी के मन में डर का माहौल बना दिया है वही दूसरी ओर कोतवाली पुलिस की सुस्त कार्यशैली देखकर भी आम आदमी स्वयं को अपने ही शहर में असुरक्षित महसूस करने लगा है, कोतवाली थाना क्षेत्र में बीते एक महीने में जिस तरह से एक के बाद एक वारदातें घटित हुई है उसके बाद से यह कहना गलत नहीं होगा कि आम आदमी का नगर कोतवाल और उनकी समूची कोतवाली पुलिस टीम से भरोसा लगभग उठ सा गया है और सबसे हैरत की बात तो यह भी है कि अब पीड़ित और प्रताड़ित केवल आम आदमी ही नही है बल्कि सत्ता से जुड़े कद्दावर नेताओं को भी अपनी सुरक्षा और न्याय के लिए कोतवाली पुलिस से कोई विशेष उम्मीद नही रह गई है।

जी हां, हम यहां बात कर रहे है बीती 14 अगस्त की रात घटित मारपीट की उस वारदात की जिसमें सत्ता में काबिज भाजपा के ही तीन कार्यकर्ताओं ने शहर भाजपा के मंडल महामंत्री (जूटमिल) और दो बार के निगम पार्षद रहे भाजपा के कद्दावर युवा नेता मुक्तिनाथ “बबुआ” के ऊपर जानलेवा हमला कर उनसे नकदी और सोने की चैन लूटकर फरार हो गए थे जिसमें आज घटना को हुए 11 दिन हो चुके है लेकिन कोतवाली पुलिस, खूनी वारदात को अंजाम देने वाले किसी भी आरोपी को पकड़ नही पाई है जबकि वारदात के अगले दिन जब भाजपा नेताओं, आम जनों और विपक्ष से जुड़े नेताओं ने आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर थाने का घेराव किया था तब सीएसपी आकाश शुक्ला ने आश्वस्त किया था कि जल्द ही सभी आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होंगे। लेकिन यहां तो वारदात को हुए 11 दिन से अधिक का समय बीत चुका है और आज पर्यंत पुलिस के हाथ खाली ही है ऐसे में कोतवाली पुलिस की सुस्त और उदासीन कार्यशैली को लेकर एक बार फिर शहर में जन चर्चाओं का बाजार गर्म है कुछ लोगों का तो यहां तक भी कहना है कि यह कोई पहला मामला नही है जब नगर कोतवाल की उदासीन कार्यशैली सामने आई है ऐसे और भी कई मामले है जहां उनकी उदासीनता की वजह से आरोपियों को परोक्ष लाभ पहले भी मिलता रहा है …

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