वैदिक स्कूल के हॉस्टल में नाबालिग छात्रा की संदिग्ध हालत का मामला : प्रथम दृष्टया स्कूल प्रबंधन द्वारा जानबूझकर की गई लापरवाही आई सामने.. स्थानीय पुलिस से भी यहां हो गई चूक…? मृत छात्रा के शव के पोस्टमार्टम से ही होगा , मामले का.. स्कूल प्रबंधन की अनैतिक और गैर कानूनी कार्यशैली से स्कूल प्रबंधन की भूमिका भी अब संदेह के दायरे में…..


रायगढ़। वैदिक स्कूल रायगढ़ के हॉस्टल में रहकर कक्षा 12 वीं की पढ़ाई करने वाली छात्रा के संदिग्ध हालत में हुई मौत का मामला अब और तुल पकड़ने लगा है जिसमें प्रारंभिक स्तर पर वैदिक स्कूल प्रबंधन की ओर जानबूझकर की गई तीन बड़ी लापरवाही परिलक्षित हो रही है जिससे प्रथम दृष्टया पूरे मामले में स्कूल प्रबंधन की भूमिका को और भी ज्यादा संदेहास्पद बना दिया है … साथ ही पूरे मामले में स्थानीय जूटमिल थाना पुलिस की भूमिका पर भी सोशल मीडिया पर शहर प्रबुद्धजनों द्वारा सवालिया निशान लगाया जा रहा है कि जब मामले की सूचना सुबह लगभग सवा 10 बजे ही उन्हें लग गई थी तब स्वस्फूर्त कानूनी कार्यवाही कर मृत छात्रा के शव का पोस्टमार्टम यहां कराए जाने की कानूनी प्रक्रिया को क्यूं सुनिश्चित नही किया गया और शव को पोस्टमार्टम के लिए अन्यत्र क्यूं रवाना किया गया जबकि कायदे से ऐसे मामलों में स्थानीय स्तर पर पोस्टमार्टम की सुविधा होने शव का पोस्टमार्टम स्थानीय स्तर पर किया जाता है…..
स्कूल प्रबंधन की ओर से की गई तीन बड़ी लापरवाही :
कायदे से देखा जाए तो किसी भी स्कूल अथवा कॉलेज के हॉस्टल परिसर में जब कोई ऐसी अनहोनी घटना घटित होती है तो हर स्कूल/कॉलेज प्रबंधन की कोशिश होती है कि घटना के प्रत्यक्ष पीड़ित अथवा पीड़िता को प्राथमिक स्तर पर बेस्ट ऑफ बेस्ट उपचार संभव हो , और अगर हॉस्पिटल पहुंचने से पूर्व ही पीड़ित अथवा पीड़िता की मौत हो जाने पर… घटना के वास्तविक कारणों पता लगाने में स्थानीय पुलिस की हरसंभव सहायता करें, किंतु इस मामले में शुरू से ही स्कूल प्रबंधन की भूमिका संदेहास्पद रही और स्कूल प्रबंधन अपनी कथित साख बचाने को ज्यादा तत्पर दिखाई।
पहली चूक : जैसे ही स्कूल प्रबंधन को सूचना मिली कि छात्रा बेसुध अवस्था में अपने हॉस्टल रूम के बाथरूम में पड़ी हुई , उसकी औपचारिक सूचना संबंधित थाना क्षेत्र अथवा आपातकालीन नंबर 112/100 में नही दी गई।
दूसरी चूक : जब मृत छात्रा को अचेत अवस्था में क्षेत्र के एक निजी हॉस्पिटल में लाया गया, जहां देखते ही छात्रा को मृत घोषित कर उसके शव को आगे की कानूनी कार्यवाही और पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कालेज अथवा गवर्मेंट हॉस्पिटल ले जाने को कहा गया तब स्कूल प्रबंधन द्वारा मृत छात्रा के शव को वहां न ले जाकर एक दूसरे निजी हॉस्पिटल जिंदल फोर्टिस ले जाया गया…जो बताता है कि स्कूल प्रबंधन इस मामले में सरकारी ऑथोरिटी से कुछ छुपाना चाहता था अथवा सरकारी जांच से स्कूल प्रबंधन को अलग रखना चाहता था..
तीसरी चूक : जिंदल हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा जब घटना की सूचना पुलिस को दी गई तब स्कूल प्रबंधन मृत छात्रा के परिजनों के साथ मिलकर छात्रा के शव को बिना पोस्टमार्टम की कानूनी औपचारिकता को यहां किए बिना और स्थानीय पुलिस को सूचना दिए बिना छात्रा के गृह क्षेत्र माल खरौदा ले जाना…कई संदेहों को जन्म देता है वहीं पूरे मामले में स्कूल प्रबंधन की भूमिका को भी संदेहास्पद बना रहा है… जिससे अब यह पूरा मामला अब बेहद संदिग्ध बन चुका है कि कुछ तो ऐसा जरूर होगा जिसे स्कूल प्रबंधन भी स्थानीय मीडिया और पुलिस से छुपाना चाहता था…?
यह था पूरा मामला 👇
शहर के जूटमिल थाना क्षेत्र से एक बड़ी खबर सामने आई है जहां पटेलपाली स्थित वैदिक स्कूल के हॉस्टल में एक 16 वर्षीय नाबालिग छात्रा की संदिग्ध हालत में मौत हो गई है जिसे आनन फानन में क्षेत्र के एक निजी हॉस्पिटल ने लाया गया था लेकिन चूंकि हॉस्पिटल पहुंचने से पूर्व ही छात्रा की मौत हो चुकी थी लिहाजा उक्त निजी हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा छात्रा के शव को मेडिकल कॉलेज ले जाने को कहा गया, खबर लिखे जाने तक जानकारी मिल रही है कि मृत छात्रा के शव को स्कूल प्रबंधन द्वारा जिंदल फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया था जहां से बिना औपचारिक प्रक्रिया का पालन किए बिना छात्रा के शव को स्कूल प्रबंधन और परिजनों द्वारा छात्रा के शव को उसके गृहक्षेत्र मालखरौदा, सक्ति जिला ले जाया गया है। सूत्रों की मानें तो सुबह स्कूल टाईम पर छात्रा बाथरूम गई थी और बहुत देर तक नही निकलने पर रूममेट द्वारा इसकी सूचना स्कूल प्रबंधन को दिया गया था और जब बॉथरूम का दरवाजा खोला गया तो वहां नाबालिग छात्रा का शव पड़ा हुआ था।
जानकारी यह भी मिल रही है कि बीते कुछ महीनों से वैदिक स्कूल नियमित प्रिंसिपल की गैर मौजूदगी में प्रभारी प्रिंसिपल की देखरेख में संचालित हो रहा है।