राजनीतिरायगढ़

रायगढ़ – एमआईसी के पुनर्गठन को लेकर नेता प्रतिपक्ष पूनम सोलंकी ने कांग्रेस के खिलाफ खोला मोर्चा…विधायक-मंत्री पर लगाया दलित महिला महापौर के विशेषाधिकार के हनन का आरोप…दलित समाज से जुड़े सामाजिक संगठन व कार्यकर्ता खोल सकते हैं विधायक-मंत्री के खिलाफ…..

महिला महापौर के एमआईसी गठन के विशेषाधिकार का हनन कर रहे मंत्री विधायक

रायगढ – रायगढ़ नगर निगम एमआईसी के पुर्नगठन को लेकर अब निगम नेता प्रतिपक्ष श्रीमती पूनम सोलंकी खुलकर महापौर जानकी काटजू के समर्थन में आ गयी हैं कल देर शाम हुए एमआईसी के पुनर्गठन को लेकर जिस तरह की खबरें स्थानीय मीडिया में आई उसके बाद नेता प्रतिपक्ष पूनम सोलंकी द्वारा स्थानीय विधायक व मंत्री को आड़े हाथों लेते हुए प्रेस विज्ञप्ति के जरिये तीखे सवाल पूछे गए हैं कि क्या एक निर्वाचित दलित महिला महापौर को अपनी एमआईसी गठन का अधिकार नहीं है…? जो डेढ़ साल में दो बार एमआईसी को कांग्रेस के बाहरी व बेजा हस्तक्षेप की वजह से भंग किया गया…और फिर बाद में महापौर के वीटो से जुड़े मामलें में स्थानीय विधायक-मंत्री के अनावश्यक हस्तक्षेप से एमआईसी का गठन किया गया जबकि एमआईसी का गठन महापौर का विशेषाधिकार होता हैं।

नेता प्रतिपक्ष पूनम सोलंकी ने कल हुए एमआईसी के पुनर्गठन के बाद काँग्रेस की दलित विरोधी मानसिकता पर भी जमकर प्रहार किया और कहा कि काँग्रेस में दलितों व महिलाओ का सम्मान नही है यही वजह हैं कि शहर सरकार पर काबिज एक दलित महिला महापौर द्वारा एमआईसी में फेरबदल को लेकर लिए गए निर्णय कांग्रेस के स्थानीय विधायक-मंत्री को रास नही आ रहे हैं।

वैसे अब जानकारी यह भी मिल रही हैं कि नेता प्रतिपक्ष के द्वारा दलित महापौर का मुद्दा उठाने के बाद अंचल के दलित समाज में भी स्थानीय विधायक-मंत्री व सभापति के प्रति आक्रोश का माहौल पनपने लगा है सूत्रों से मिली जानकारी की मानें तो आने वाले दिनों में जल्द ही दलित समाज से जुड़े सामाजिक संगठन व कार्यकर्ताओं की एक बड़ी टीम महापौर के समर्थन में स्थानीय विधायक-मंत्री व सभापति के खिलाफ मोर्चा खोल सकती हैं जिसका बड़ा खामियाजा रायगढ़ कांग्रेस को होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि रायगढ़ जिले की राजनीति में दलित वोट बैंक खासा प्रभाव रखता हैं और अगर ये वर्ग रायगढ़ कांग्रेस से मुँह फेर लेता है तो आगामी विधानसभा चुनाव 2023 में रायगढ़ जिले में कांग्रेस को कितना नुकसान हो सकता है ये बताने की जरूरत नहीं हैं।

बहरहाल…महापौर के एमआईसी पुनर्गठन के बाद जिस तरह से खबरें स्थानीय मीडिया व जनचर्चा में देखने-सुनने को मिल रही हैं उससे इतना तो तय है कि रायगढ़ कांग्रेस ने इस मुद्दे में महापौर के विशेषाधिकार का हनन करके स्थानीय दलित समाज को नाराज जरूर कर दिया है और हो सकता है कि इसका तात्कालिक नुकसान अभी भले दिखाई न दे पर इसका दूरगामी नुकसान रायगढ़ कांग्रेस को झेलना ही पड़ेगा

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