
रायगढ़ – प्रदेश भाजपा के आह्वान पर भाजपा प्रदेश किसान मोर्चा के तत्वाधान में रायगढ़ जिले के हर विधानसभा क्षेत्र आयोजित एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कार्यक्रम पूरी तरह से फ्लॉप-शो बन कर गया …

किसानों के समर्थन में भूपेश सरकार के खिलाफ में भाजपा के प्रदेशव्यापी धरने का कार्यक्रम रायगढ़ विधान सभा मे विभिन्न मंडलों का शक्ति प्रदर्शन बन कर रह गया। धड़ों में बंटी भाजपा का लॉक डॉउन के बाद यह पहला आयोजन था जिसकी सफलता के लिए भाजपा संगठन व आईटी सेल जोरो से प्रचार प्रसार में लगा हुआ था। स्थानीय राजनीतिक समीक्षकों की मानें तो सूत्रों यह आयोजन भाजपा नेता ओपी चौधरी की गैर मौजूदगी व गुटीय राजनीति की वजह से असफल हो गया।

स्थानीय राजनीतिक समीक्षकों का तो यहाँ तक कहना है कि सत्ता जाने के बाद जिला भाजपा का गुटीय संघर्ष पहले की तुलना में और अधिक बढ़ गया है और यदि मौजूदा स्थिति पर समय रहते ध्यान नही दिया गया तो जिले में भाजपा शून्यता से नही उबर पाएगी। आज के धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम के दौरान कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी साफ नजर आ रही थीं तो वही न किसानों की मौजूदगी भी न के बराबर होने से कार्यक्रम पूरी तरह से पॉलिटिकल स्टंट बनकर रह गया। प्रोटोकॉल के तहत आने वाले पार्टी पदाधिकारियों की अनदेखी व उपेक्षा से उनके समर्थकों में खासा आक्रोश भी साफ दिखाई दे रहा था इस दौरान ओपी चौधरी की गैरमौजूदगी में वहाँ एक भी ऐसा कोई प्रभावशाली नेता नज़र नहीं आया,जो कार्यकर्ताओ के बीच उत्साह व ऊर्जा का संचार कर उन्हें बांधकर रख सकें।

हालांकि इस दौरान पूर्व वरिष्ठ भाजपा पार्षद व जिला उपाध्यक्ष आशीष ताम्रकार, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य विवेक रंजन सिन्हा, महिला मोर्चा की टीम और जूटमिल भाजपा मंडल महामंत्री व भाजयुमो मंडल अध्यक्ष शैलेश माली अपनी-अपनी टोली के साथ काफी सक्रिय नज़र आ रहे थे और वे लगातार कार्यकर्ताओं का उत्साह वर्धन भी करते रहे…बावजूद उनके अथक प्रयास व प्रबंधन के कार्यक्रम उस मुकाम पे नहीं पहुँच पाया , जहाँ लॉक डाउन के दौरान जिला भाजपा ने पिछले दो से तीन कार्यक्रम को पहुँचाया था….

बहरहाल… आज भाजपा के इस धरना प्रदर्शन कार्यक्रम को देखने के बाद इतना तय हो ही गया है कि जिले में अगर प्रदेश भाजपा नेता ओपी चौधरी को छोड़ दिया जाये तो रोशन-विजय के नेतृत्व बाद ऐसा कोई नेतृत्व फ़िलहाल नज़र नहीं आ रहा है जो भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच समान रूप से लोकप्रिय हो और जिनकी सभी कार्यकर्ताओं में स्वीकार्यता हो। अगर समय रहते रायगढ़ भाजपा ने इस बड़ी समस्या का हल नहीं निकाला तो जिले में भाजपा को शून्यता से उबरने में काफी मुश्किलातों का सामना करना पड़ सकता हैं।