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सरिया क्षेत्र के दम पर रायगढ़ विधान सभा की दावेदारी दोनो पार्टी के नेताओ को पड़ेगी भारी…सारंगढ़ जिले का गठन लगा सकता है कई नेताओं के सियासी भविष्य पर ग्रहण…

भाजपा काँग्रेस से जुड़े नेताओ के गले की हड्डी बना नया जिला सारंगढ

सारंगढ विधानसभा के कांग्रेसी रायगढ विधान सभा के भाजपाई तर जाएंगे तो सरिया क्षेत्र के भाजपाई व कांग्रेसी डूब जाएंगे

रायगढ़ – पृथक जिला सारंगढ दोनो मुख्य विपक्षी दल भाजपा कांग्रेस से जुड़े नेताओ के लिए गले की हड्डी साबित हो रहा है हालाँकि अब तक यह स्पष्ट नही है कि अगले विधान सभा चुनाव के दौरान सरिया रायगढ विधान सभा से पृथक होकर सारंगढ़ विधान सभा में जुड़ेगा या नही..खैर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी। आज नही तो कल जब सरिया रायगढ़ से जुदा होंगा तो यह जुदाई भविष्य में कई नेताओं के राजनैतिक जीवन का मर्डर करेगी।

इस फेहरिस्त में भाजपा व कांग्रेस दोनो ही दलों में ऐसे नेता शामिल है जो सारंगढ जिले के गठन से या तो तर जाएंगे या डूब जायेंगे। रायगढ विधान सभा मे शामिल सरिया क्षेत्र के सारंगढ़ में शामिल होने मात्र से सबसे बड़ा सियासी नुकसान सबसे बड़े कद्दावर नेता तात्कालिक विधायक प्रकाश नायक को उठाना पड़ सकता है क्योकि छग गठन के बाद कुल चार में से तीन चुनावो में दो बार जीत के दौरान सबसे अधिक बढ़त सरिया क्षेत्र के उन 30 गांवों से ही मिली है,जो अब अलग हों कर सारंगढ से मिलने वाले है। सरिया के विधान सभा रहते यहाँ नायक परिवार का राजनैतिक दबदबा रहा l सरिया सीट समाप्त होने के पहले डॉ नॉयक यहाँ से दो बार विधायक रह चुके थे। देर सबेर सरिया क्षेत्र की रायगढ विधान सभा से विदाई नायक परिवार के लिए आंसुओं का सैलाब लेकर आएगी।

सारंगढ विधानसभा में काँग्रेस की जीत अभी से सुनिश्चित मानी जा रही है सरिया क्षेत्र में निवास रत भाजपाई जो रायगढ विधान सभा में भाजपा की दावेदारी करते थे अब ऐसे नेताओं की दशको की राजनीति पर अब पूर्ण विराम लगेगा वही सारंगढ़ विधान सभा मे भाजपा की राह अगले विधान सभा तक कठिन नजर आ रही है, वही रायगढ विधान सभा मे निगम क्षेत्र में निवासरत कथित भाजपा नेताओं के कुछ कारोबारी व व्यवसायिक मानिसकता के नेताओ को छोड़ दिया जाए तो रायगढ विधान सभा में भाजपा का दावा मजबूत नजर जा रहा है।

सन 2000 में छग गठन के दौरान रायगढ व सरिया विधान सभा पृथक हुआ करती थी। इस दौरान रायगढ से काँग्रेस विधायक के के गुप्ता और सरिया विधानसभा से भाजपा विधायक स्वर्गीय डॉ शक्राजीत नायक थे। मध्यप्रदेश से पृथक होने के बाद छग में काँग्रेस विधायकों की संख्या अधिक होने की वजह से काँग्रेस की जोगी सरकार बनी। जोगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद सरिया विधानसभा के भाजपा विधायक स्वर्गीय डॉ शक्राजीत नॉयक ने काँग्रेस प्रवेश कर लिया।

छग गठन के पहला चुनाव 2003 में हुआ और प्रदेश में भाजपा की रमन सरकार बनी। इस दौरान सरिया विधान सभा से पार्टी बदलकर गए डॉ नायक काँग्रेस से जीत गए। वही रायगढ विधान सभा से काँग्रेस के विधायक व मंन्त्री के के गुप्ता भाजपा के विजय अग्रवाल से हार गए। 2003 के बाद 2008 अगले चुनाव के दौरान परिसीमन लागू होने की वजह से सरिया विधान सभा की सीट समाप्त हो गई जिसका बरमकेला क्षेत्र सारंगढ विधान सभा में जुड़ गया और सरिया क्षेत्र रायगढ विधान सभा मे जुड़ गया। 2008 के दौरान भाजपा ने विधायक विजय अग्रवाल को रिपीट किया वही काँग्रेस ने स्वाभाविक दावेदार के के गुप्ता की बजाय स्वर्गीय डॉ नायक को आजमाना उचित समझा। भाजपा को भीतरी घात का नुकसान उठाना पड़ा। परिसीमन के बाद पहला चुनाव कांग्रेस के डॉ नॉयक ने जीता। 2013 के अगले चुनाव के दौरान काँग्रेस ने डॉ नॉयक को रिपीट किया और भाजपा ने विजय अग्रवाल की बजाय स्वर्गीय रोशन लाल को अपना प्रत्याशी बनाया। काँग्रेस विधायक नॉयक को भाजपा के रोशन लाल से करारी शिकस्त मिली। अगला चुनाव 2018 के दौरान भाजपा के स्वर्गीय रोशन लाल काँग्रेस प्रत्याशी स्वर्गीय डॉ नॉयक के सुपुत्र प्रकाश नायक से हार गए इस बार भाजपा की बड़ी हार का कारण भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले विजय अग्रवाल रहे। रायगढ के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब पार्टी के विधायक विजय ने पार्टी के खिलाफ चूनाव लड़कर भाजपा के विजय रथ को रोक दिया। रायगढ़ विधान सभा कुल चार क्षेत्रों में विभाजित है जिनमे निगम क्षेत्र के अलावा लोइंग पुसौर कोडाताराई व सरिया शामिल है।

छग गठन के बाद चुनाव परिणामो पर नजर डाली जाए तो भाजपा को हमेशा से सरिया क्षेत्र से पिछड़ती रही। इसका बड़ा कारण डॉ नायक परिवार का गृह क्षेत्र का होना रहा l रायगढ पुसौर कोडातराई से आगे रहने वाली भाजपा सरिया क्षेत्र से हमेशा पिछड़ती रही। छग गठन के बाद पहले सन 2003 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो 2008,2013, 2018 के दौरान नायक परिवार ही चुनाव लड़ता रहा। रायगढ निगम क्षेत्र में काँग्रेस कमजोर रही इस क्षेत्र की खाई काँग्रेस सदा सरिया क्षेत्र की बढ़त से पाटती रही। पृथक जिला बनने से सरिया क्षेत्र के 30 गाँव के अनुमानित 40 से 45 हजार मतदाता सारंगढ विधान सभा मे जुड़ जाएंगे। यह काँग्रेस का थोक वोट बैंक है, छग गठन के बाद भाजपा शहरी प्रत्याशी के भरोसे चुनावों में जीत हासिल करती रही वही काँग्रेस को नायक परिवार के ग्रामीण परिवेश का लाभ मिलता रहा लेकिन सारंगढ की घोषणा के बाद स्थितियाँ तेजी से बदलेगी।

2023 अगले चुनाव के दौरान यदि सरिया क्षेत्र सारंगढ़ विधान सभा मे जुड़ जाता है तो निश्चित तौर पर काँग्रेस विधायक प्रकाश नायक को अपने गृह क्षेत्र के वोट बैंक का बड़ा नुकसान होगा। इस क्षेत्र से उनके अनुज कैलाश नायक भी जिला पंचायत सदस्य है जो काँग्रेस विजय रथ के साइलेंट सारथी है। सरिया क्षेत्र के कद्दावर नेता जगन्नाथ पाणिग्रही की रायगढ विधान सभा मे स्वाभाविक दावेदारी थी लेकिन सरिया क्षेत्र का सारंगढ विधान सभा मे विलय हो जाना भाजपा नेता जगन्नाथ के राजनैतिक जीवन सफ़र का ग्रहण साबित होगा। दोनो ही पार्टियों के लिए अब सरिया क्षेत्र के प्रत्याशी की दावेदारी नुकसान का सौदा साबित होगा।

लेखक – गणेश अग्रवाल (वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक समीक्षक)

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