राजनीतिरायगढ़

रायगढ़ – काँग्रेस नेत्रियों संजना शर्मा व बरखा सिंह के मध्य हुए विवाद के मामलें में महिला जिलाध्यक्ष बरखा सिंह के निष्कासन से रायगढ़ काँग्रेस को हो सकता है बड़ा नुकसान….

रायगढ़ – नगर निगम पार्षद संजना शर्मा व काँग्रेस महिला जिलाध्यक्ष बरखा सिंह के मध्य हुये वादविवाद की चिंगारी अब अंदर-अंदर सुलग रही है। नगर निगम के गलियारों से होता हुआ यह विवाद विधायक प्रकाश नायक के दरबार तक जा पहुँचा है।

घटना को लेकर भाजपा मुखर है और आम जनमानस के मध्य पार्टी को खासा नुकसान हुआ हैं। बरखा सिंह ने खेद प्रकट के मामले का सुखद पटाक्षेप किये जाने की कोशिश की है वही दूसरा खेमें ने इस मसले को न केवल सार्वजनिक कर बीच बाजार काँग्रेस पार्टी के अनुशासन की साड़ी को तार तार किया, बल्कि वही इस्तीफ़े की धमकी देकर मुद्दे को गर्माये रखने की कोशिश भी की है।

महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष बरखा सिंह की सकारत्मक पहल की वजह से वे आम जनमानस के मध्य सहानुभूति की पात्र बन गई हैं। मामले को लेकर प्रदेश काँग्रेस ने भी सात दिवसीय नोटिस जारी किया जिस पर महिला अध्यक्ष बरखा सिंह द्वारा अपना पक्ष रखा गया है। सभापति जयंत ठेठवार के निगम स्थित केबिन के भीतर हुए महिला नेत्रियों के घमासान के वीडियो रिकॉर्डिंग एवं उसके प्रसार करने वालो की नापाक मंशा पर भी सवाल उठने शुरू हो गए है। पार्टी ऐसे जयचंदो की तलाश में है जो पार्टी की जड़ो में चोरी छिपे मट्ठा डाल रहे है। पार्षद संजना द्वारा इस्तीफे की धमकी के साथ पार्षदों का संख्या बल दिखाना एक बड़ी राजनीति की ओर ईशारा कर रहा है। संगठन यदि दबाव में आता है तो भविष्य में संगठन की किरकिरी भी तय है। ऐसे समय पर पार्टी को साँप भी मर जाये लाठी भी न टूटे वाली रणनीति पर विचार करना होगा। बरखा सिंह व संजना के मध्य व्यक्तिगत लड़ाई है इस अहम की लड़ाई से पार्टी को खासा नुकसान हो रहा हैं। दोनो ही खेमों ने एक दूसरे को नीचा दिखाने का कोई अवसर नही छोड़ा है। एक पक्षीय कार्यवाही काँग्रेस के लिये भविष्य में विधान सभा चुनाव को देखते हुए भारी हो सकती है।

दो बरस पहले कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में शामिल होने वाली बरखा सिंह की चक्रधर नगर क्षेत्र के आधे दर्ज़न वार्डो में मजबूत जमीनी पकड़ है। यह क्षेत्र भाजपा के लिए गढ़ माना जाता रहा। पहली बार क्षेत्र के भाजपाई शूरमाओं को भी पराजय का सामना बरखा सिंह की रणनीति व जमीनी स्तर पर किये गए परिश्रम की वजह से करना पड़ा। दो साल पहले हुए निगम चुनाव के दौरान वार्ड नंबर 27 में टिकट की स्वाभाविक दावेदार थी लेकिन पार्टी ने संजना शर्मा को टिकट दिया लेकिन बरखा खेमे से जुड़े समर्थको का दावा है कि संजना को जिताने में अहम भूमिका रही है।

उप चुनाव के दौरान भी बरखा सिंह की सराहनीय भूमिका रही। बरखा के शुभ कदम रायगढ़ काँग्रेस के लिए उपयोगी साबित हुए। इन वार्डो में अधिकांश यूपी-बिहार से आये सामान्य मतदाता रहते है जो क्षेत्र जे चुनाव परिणाम मे निर्णायक भूमिका अदा करते रहे हैं और इन परदेशी-वोटो पर उनकी खासी पकड़ से इंकार नही किया जा सकता हैं। बरखा सिंह के पास उनके समर्थकों की लंबी फौज है जो उन पर किसी प्रकार की अवांछित कार्यवाही से बिखर सकती है जिसका सीधा नुकसान आसन्न विधानसभा चुनाव2023 के दौरान काँग्रेस को होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है

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