राजनीतिरायगढ़

रायगढ़ – निगम उपचुनाव: रायगढ़ विधानसभा सीट के लिहाज से वार्मअप मैच की तरह…रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक व भाजपा जिलाध्यक्ष उमेश अग्रवाल का राजनीतिक रसूख दाँव पर..प्रत्याशी चयन पर टिका जीत का पूरा दारोमदार….

रायगढ – अगले माह दिसंबर में होने वाले नगर निगम की दो सीटों का उपचुनाव स्थानीय विधायक प्रकाश नायक और भाजपा जिलाध्यक्ष उमेश अग्रवाल दोनों के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा, साथ इस उपचुनाव का परिणाम तय करेगा कि आगामी विधानसभा चुनाव 2023 के मद्देनजर सत्तारूढ़ कांग्रेस व विपक्ष में आरूढ़ भाजपा की तैयारी कैसी हैं।

नगर निगम के वार्ड नंबर 9 व वार्ड नंबर 25 के पार्षदो क्रमशः कमल पटेल (कांग्रेस) व श्रीमती प्रेमलता यादव (भाजपा) की असामयिक निधन से ये दोनों सीटें रिक्त हुई है। ऐसे में दोनो पार्टियों की कोशिश होगी कि दोनों सीटों पर जीत हासिल कर शहरी क्षेत्रों में अपने जनाधार को मजबूत किया जाये। जहाँ एक ओर रायगढ़ कांग्रेस स्थानीय विधायक प्रकाश नायक की अगुवाई में इसकी तैयारी में जुटी दिखाई दे रही हैं तो वहीं दूसरी ओर इस मामलें में रायगढ़ भाजपा अभी थोड़ा बैकफुट पर नज़र आ रही हैं। आगामी उपचुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के पक्ष में एक बात यह भी है कि विधानसभा चुनाव 2018 के परिणाम के पहले रायगढ़ जिलें व नगर निगम में कमजोर नज़र आने वाली रायगढ़ कांग्रेस की स्थिति स्थानीय विधायक प्रकाश नायक की जमीनी सक्रियता की वजह काफी मजबूत हुई हैं। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव के बाद हुए नगर निगम, नगर पंचायत, जनपद चुनाव सहित जिला पंचायत सभी चुनावों में रायगढ़ भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा और लगभग सभी चुनावों में कांग्रेस की ओर से मोर्चा रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक ने ही संभाला था तो वही दूसरी ओर भाजपा जिलाध्यक्ष की ताजपोशी के बाद बतौर नवनियुक्त जिलाध्यक्ष उमेश अग्रवाल की बोहनी काफी निराशाजनक रही थी। स्थानीय राजनीतिक समीक्षकों की मानें तो उन चुनावों के दौरान रायगढ़ भाजपा से सबसे बड़ी चूक टिकट वितरण के दौरान ही हुई थी जहाँ जिताऊ प्रत्याशी की जगह ज़्यादातर सीटों में रायगढ़ भाजपा नेतृत्व ने अपने चहेतों को टिकट दिया गया था, जिनका क्षेत्र में जनाधार व स्वीकार्यता न के बराबर था नतीजतन भाजपा को सभी चुनावों में मुँह की खानी पड़ी थी।

हालाँकि अब स्थानीय भाजपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक नगरीय निकाय चुनावों में मिली करारी हार से जिलाध्यक्ष उमेश अग्रवाल एंड टीम ने बड़ा सबक सीखते हुए इन दो सालों के अंतराल में स्थानीय स्तर पर पार्टी में व्याप्त गुटबाजी की खाई को काफी हद तक भरने में सफलता हासिल की है जिससे अभी की स्थिति में कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल हैं। ऐसे में भाजपा अगर सधी रणनीति के साथ उपचुनाव के मैदान में उतरती हैं तो कांग्रेस की राह आसान नहीं होगी, लेकिन फिर एक बार जीत का पूरा समीकरण प्रत्याशी चयन पर ही निर्भर करेगा।

मौजूदा स्थिति में दोनों पार्टियां चाहेंगी कि उपचुनाव में दोनो ही सीटो पर उनके प्रत्याशी जीते। जिसके लिए रायगढ़ के विधायक प्रकाश नायक अभी से मैदान में उतर गए हैं और दोनों ही वार्डों में अपने कार्यकर्ताओं की बैठक लेना शुरू कर चुके हैं इसी कड़ी में तीन दिन पहले ही वार्ड नं 25 से कभी भाजपा की दिग्गज महिला नेत्री रही सपना सिदार को विधायक प्रकाश नायक ने कांग्रेस प्रवेश करा कर भाजपा को चुनाव से पहले ही तगड़ा झटका दे दिया हैं। वहीं स्थानीय राजनीति के जानकारों का यह भी मानना हैं कि वार्ड नं 9 परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट रही हैं जहाँ काँग्रेस का दावा अभी की स्थिति में भी काफी मजबूत नज़र आ रहा है क्योंकि इस वार्ड में भाजपा के पास फ़िलहाल कोई जिताऊ चेहरा नज़र भी नहीं आ रहा हैं तो वहीं वार्ड नं 25 में भाजपा की स्थिति मजबूत हो सकती हैं लेकिन पूरा दारोमदार प्रत्याशी चयन पर ही निर्भर करेगा। इस वार्ड में क्षेत्र के पूर्व पार्षद व युवा भाजपा नेता संदीप क्षत्रिय का खासा प्रभाव माना जाता है जिनकी भूमिका इस वार्ड के उपचुनाव में निर्णायक हो सकती हैं लेकिन अगर रायगढ़ भाजपा के गत निगम चुनाव में प्रत्याशी चयन के दौरान की गई गलती को दोहराती हैं उस स्थिति में इस वार्ड में भी भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

भाजपा में इन दो प्रत्याशी के बीच फंसा पेच : रायगढ़ भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो फ़िलहाल अभी तक वार्ड नं 25 से तीन नाम ही चर्चा में सामने आये हैं जिसमें से एक निगम के चार बार के पार्षद रह चुके पूर्व वरिष्ठ पार्षद आशीष ताम्रकार की धर्मपत्नी श्रीमती श्रद्धा ताम्रकार, तो वहीं विनोबानगर मोहल्ले से श्रीमती रश्मि गबेल व एक अन्य महिला प्रत्याशी का नाम सामने आ रहा है। उपरोक्त तीनों नामों में फिलहाल श्रीमती श्रद्धा आशीष ताम्रकार का दावा सबसे मजबूत नज़र आ रहा है क्योंकि बीतें 2 दशकों से वर्तमान जिला उपाध्यक्ष आशीष ताम्रकार का चेहरा इस दक्षिण चक्रधरनगर क्षेत्र में भाजपा के सर्वस्वीकार्य जमीनी नेता के रूप स्थापित है हालांकि 2019 में हुए निगम चुनाव के दौरान पार्टी ने महिला सीट होने की वजह उनकी धर्मपत्नी श्रीमती श्रद्धा आशीष ताम्रकार को भाजपा से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था जिसमें उनको हार का सामना पड़ा था हालांकि इस हार की बड़ी वजह गुटबाजी व भीतरघात रही थी। वहीं श्रीमती रश्मि गबेल की दावेदारी को लेकर माना जा रहा है कि उनके पीछे क्षेत्र के वरिष्ठ भाजपा नेता विवेक रंजन सिन्हा व संदीप क्षत्रिय का हाथ हैं बाकी नया चेहरा व सीमित सामाजिक दायरा होने की वजह से फ़िलहाल मौजूदा समीकरण उनके पक्ष में नज़र नहीं आ रहा है जबकि वहीं श्रीमती श्रद्धा आशीष ताम्रकार का चेहरा भाजपा के लिहाज से जिताऊ चेहरा साबित हो सकता है क्योंकि लोचन नगर कॉलोनी, बालसमुंद पुल के पीछे की बस्ती सहित कौआकुंडा ईलाके में आशीष ताम्रकार का जोरदार प्रभाव हैं तो वहीं विनोबनगर क्षेत्र में उनके भरोसेमंद युवा कार्यकर्त्ताओं की बड़ी टीम हैं जो चुनाव के दौरान बूथ मैनेजमेंट में बड़ी भूमिका अदा कर सकती हैं। ऐसे में रायगढ़ भाजपा के लिए दुविधा की स्थिति निर्मित हो सकती हैं कि वो क्षेत्र के अपने दो अहम नेता की पसंद को प्राथमिकता दें या फिर एक बार फिर श्रीमती श्रद्धा आशीष ताम्रकार पर दाँव लगाते हुए पूरी ऊर्जा के साथ चुनाव मैदान में उतरें।

बहरहाल.. चुनाव को अभी कुछ और हफ़्तों का समय शेष हैं और दोनों ही पार्टियां पूरे जोर शोर से उपचुनाव के मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं क्योंकि यह उपचुनाव रायगढ़ विधानसभा चुनाव 23 के लिहाज से एक तरह का वार्मअप मैच हैं जिसमें जीतकर दोनों ही पार्टियां अपने आत्मविश्वास में इजाफा करना चाहेंगी।

advertisement advertisement advertisement advertisement advertisement
Back to top button
error: Content is protected !!