यूनियन का खाता होने के बावजूद क्यूं निजी खाते में जुटाई गई चंदे की राशि..मामला मीडिया में आने के बाद एक प्रभावित को डेढ़ साल बाद दी गई बकाया राशि..झूठी जानकारी देकर मीडिया सहित प्रशासन को कर रहे है गुमराह.. 10 महीने बाद भी चंदे की राशि को यूनियन के खाते में नही किया गया है ट्रांसफर..8 अनसुलझे सवाल…

रायगढ़। जिला ट्रेलर एसोसिएशन के संरक्षक सतीश द्वारा अपने निजी बैक खाते (गूगल/फोन पे) में जरूरतमंद लोगों के सहायतार्थ चंदे द्वारा जुटाई हजारों लाखो रुपए की राशि का विवाद में नई और हैरत कर देने वाली जानकारी सामने आई है जिससे साफ पता चलता है कि एक पूर्व निर्धारित हिडन एजेंडे के तहत चंदा वसूली के पूरे खेल कठिथ ईमानदार संरक्षक द्वारा अंजाम दिया गया और जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए सदस्यों व अन्य लोगों से जुटाई गई चंदे के भारी भरकम रकम का झोलझाल किया गया है।
बता दें कि दो दिन पूर्व मंगलवार 28 मई को जब संरक्षक सतीश के बचाव में ट्रेलर एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल एसएसपी दिव्यांग पटेल से मिलने और ज्ञापन देने एसपी ऑफिस पहुंचा था तब एसएसपी दिव्यांग पटेल को ज्ञापन सौंपकर इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की गई थी साथ ही कथित संरक्षक को पाक साफ बताते हुए यह भी कहा गया था कि एसोसिएशन को कमजोर करने की कोशिश की रही है और इस दौरान एसपी ऑफिस से निकलकर जब प्रतिनिधिमंडल एसपी ऑफिस परिसर में ही मीडिया से रूबरू हुआ तब संस्था के एक वरिष्ठ सदस्य ने मीडिया में बयान देते हुए कहा था कि 19/07/2023 वाली घटना में पीड़ित परिवार की सहायता हेतु सतीश चौबे द्वारा खुद के निजी गूगल/फोन पे अकाउंट का उपयोग इसलिए किया गया था क्योंकि उस समय तक एसोसियशन का बैंक अकाउंट नहीं था जबकि हकीकत इससे बिल्कुल भी इत्तेफाक नहीं रखती है क्योंकि इस घटना के 10 महीने पूर्व ही 17/10/2022 को एसोसिएशन का बैंक अकाउंट खुल चुका था।

इस जानकारी के सामने आने के बाद साफ हो जाता है कि एसोसिएशन के जिम्मेदार सदस्य संरक्षक सतीश चौबे के बचाव में न सिर्फ स्थानीय मीडिया को झूठी और भ्रामक जानकारी दे रहे हैं बल्कि पुलिस प्रशासन को भी गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।

वहीं करीब दो साल पूर्व के एक मामले में प्रभावित हुई महिला व उसकी बच्ची की आर्थिक सहायता हेतु सार्वजनिक चंदे से जुटाई गई बड़ी रकम को भी पीड़िता को एक बार में न देकर उसका भुगतान किश्तों में किया गया और तो और जब 27 मई को खबर प्रसारित हुई तो आनन फानन में 40 हजार रुपए की राशि पीड़िता के बैंक अकाउंट में एक दूसरे व्यक्ति के खाते से ट्रांसफर कराया गया, जबकि अगर एसोसिएशन अध्यक्ष की मानें तो पीड़िता को बतौर सहायता दी जाने वाली कुल राशि उसी समय करीब दो साल पहले ही जुटा ली गई थी ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि एसोसिएशन के संरक्षक और उनके समर्थक सदस्यों द्वारा शातिराना तरीके से संस्था के नाम पर चंदा की राशि जुटाई जा रही है और जिसका सीधा लाभ पीड़ित परिवार को तात्कालिक रूप से नही दिया जा रहा है…?
अनसुलझे सवाल जो अध्यक्ष के आरोपों को बल देते हैं….
1. जब 17/10/2022 को ही एसोसिएशन का बैंक खाता खुल चुका था तो जुलाई 2023 में घटित हादसे में पीड़ित परिवार की सहायता हेतु जुटाई गई राशि संरक्षक सतीश चौबे द्वारा अपने गूगल/फोन पे अकाउंट में क्यूं डलवाया गया..??
2. एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य द्वारा कल एसपी ऑफिस में मीडिया को क्यूं झूठी और भ्रामक जानकारी दी गई कि सतीश चौबे द्वारा चंदे की राशि को अपने निजी खाते में इसलिए डलवाया गया क्योंकि तब एसोसिएशन का बैंक अकाउंट नहीं था…?
3. एसएसपी को सौंपे गए ज्ञापन में इस बात का उल्लेख किया गया है कि जुलाई 2023 वाली घटना में सहायतार्थ जुटाई गई राशि को 01/08/2023 को तत्कालिक कोषाध्यक्ष को सुपुर्द कर दी गई थी जबकि एसोसिएशन के बैंक अकाउंट में आज पर्यंत उस राशि 51060 रूपये को लेकर कोई भी ट्रांजेक्शन दर्ज नहीं है…?
4. करीब दो साल पहले घटित मामले जिस महिला व उसकी बच्ची के लिए उसी समय जो बड़ी राशि जुटा ली गई थी उसका भुगतान दो साल तक किश्तों में क्यूं किया गया और बकाया 40 हजार की राशि को 28/05/2024 को उसके बैंक खाते में दूसरे व्यक्ति द्वारा ट्रांसफर किया गया जब मीडिया में चंदा राशि में झोलझाल को लेकर खबर प्रकाशित व प्रसारित हुई..?
5. वर्तमान कोषाध्यक्ष श्री चौरासिया द्वारा पूर्व कोषाध्यक्ष से एसोसिएशन के नाम हुए वित्तीय लेनदेन और आवक जावक रिकॉर्ड को औपचारिक रुप से आज पर्यन्त क्यूं हैंडओवर नही लिया गया है जबकि पूर्व कोषाध्यक्ष द्वारा दिसंबर 2022 में ही पद से इस्तीफा देकर एसोसिएशन की सदस्यता से भी खुद को मुक्त कर लिया गया है..?
7. अक्टूबर 2022 में जब एसोसिएशन का बैंक खाता खोला गया तब से आज पर्यन्त खाते में जो राशि सदस्यता शुल्क के रूप में और चंदे के रूप में जो राशि निजी खाते या नकदी के रूप में जुटाई गई उसका एक बार भी बीते दो सालों में आखिर क्यूं ऑडिट नहीं किया अथवा कराया गया.. जबकि बैंक अकाउंट स्टेटमेंट से साफ है कि ट्रांजेक्शन लाखों रुपए में है…??
8. किस वजह से बीते चार सालों में सार्वजनिक चंदे से जुटाई गई भारी भरकम राशि को एसोसिएशन के बैंक खाता खुलने उपरांत भी उसमे डिपॉजिट नहीं किया..? (बकौल पूर्व कोषाध्यक्ष, ऑफ रिकॉर्ड)
वहीं संस्था से जुड़े दो पूर्व पदाधिकारियों ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि एसोसिएशन के खाते में सदस्यता शुल्क 2500 रुपए के अलावा उनके पास मौजूद कुल ट्रेलर के हिसाब से मासिक शुल्क ही लिया जाता है जबकि सार्वजनिक आयोजन एवं दूसरे अन्य क्रियाकलापों के नाम से कई ट्रांसपोर्टरों और अन्य लोगों से जुटाई गई लाखों करोड़ों की राशि को एसोसिएशन के खाते में जमा ही नहीं कराया जाता है ताकि कच्चे पक्के के हिसाब को अलग अलग मेंटेन किया जा सके… वहीं कल तारीख 29 मई 2024 तक एसोसिएशन के नाम पर खोले गए बैंक खाते के क्लोजिंग बैलेंस की राशि 1473995 रूपये है जबकि भिन्न भिन्न आयोजनो और आंदोलन के नाम पर जुटाई गई लाखों रुपए की राशि का भी इसमें कोई प्रॉपर एंट्री (ट्रांजेक्शन) नहीं है जो प्रथम दृष्टया ही किसी बड़े आर्थिक झोलझाल की ओर इशारा कर रहा है ऐसे में पुलिस प्रशासन को दोनों पक्षों द्वारा दिए गए आवेदन के आधार पर पूरे प्रकरण की सूक्ष्मता से जांच सुनिश्चित कराना चाहिए ताकि पूरे मामले का सच सामने आ सकें और यदि संस्था से जुड़ा कोई पदाधिकारी अथवा सदस्य दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ विधिसम्मत कार्यवाही करने का मार्ग प्रशस्त हो सकें..ताकि भविष्य में ऐसे अवांछित क्रियाकलापों की पुनरावृत्ति न हो..
डिस्क्लेमर : इस खबर हमारे द्वारा जो भी तथ्य और सवाल उठाए गए है उससे संबंधित ऑडियो, वीडियो और दस्तावेजी प्रमाण हमारे पास मौजूद हैं जिसे जांच होने की स्थिति में पुलिस को बतौर पुख्ता साक्ष्य उपलब्ध करा दिया जायेगा।