रायगढ़ – कलेक्टर भीमसिंह सहित अन्य के खिलाफ FIR दर्ज करवाने एसपी को हुई लिखित शिकायत…फर्ज़ी दस्तावेज के आधार पर जनसुनवाई कराने का आरोप… FIR दर्ज नहीं होने पर 156/3 के तहत कोर्ट जाऊँगा – प्रार्थी

रायगढ़ – बीतें 28 जुलाई को संपन्न हुई सिंघल इंटरप्राइजेज तराईमाल व आज 30 जुलाई को प्रस्तावित पूर्वांचल के महापल्ली स्थित इंडस एनर्जी की जनसुनवाई को लेकर जिला प्रशासन , उद्योग प्रबंधन व जिला पर्यावरण विभाग की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है।

क्योंकि इन जनसुनवाई के आयोजन में प्रशासन द्वारा जो लापरवाही बरती गई है उसको लेकर अब प्रदेश के चर्चित पर्यावरण एक्टिविस्ट राधेश्याम शर्मा ने आर पार की लड़ाई लड़ने का खुला ऐलान कर दिया है जनसुनवाई के आयोजन को लेकर उनके द्वारा जिला पुलिस अधीक्षक को एक औपचारिक आवेदन भी 27 जुलाई को सौंपा गया है जिसमें उनके द्वारा इन दोनों जनसुनवाई के आयोजन को असंवैधानिक करार देते हुए जिला प्रशासन पर साफ तौर पर आरोप लगाया हैं कि जब देश मे महामारी अधिनियम लागू है तब कलेक्टर इतने व्यापक स्तर पर जनसुनवाई को कैसे आयोजित कर सकते हैं..? पर्यावरण एक्टिविस्ट श्री शर्मा के मुताबिक महामारी अधिनियम के दौरान अधिकतम 100 लोगों के जमावड़े को कलेक्टर अनुमति दे सकता हैं और 100 से अधिक की भीड़ के लिए कलेक्टर को विशेष अनुमति की जरूरत होती है जिसका इन दोनों जनसुनवाई में खुला उल्लंघन किया गया है।

एसपी को सौंपे गए आवेदन में श्री शर्मा ने जिला प्रशासन, राज्य पर्यावरण सचिव व जिला पर्यावरण अधिकारी व उद्योग प्रबंधन पर फर्ज़ी ईआईए रिपोर्ट के आधार पर जनसुनवाई करवाने का गंभीर आरोप लगाया है इस पूरे मामले को लेकर जब हमारे संवाददाता ने उनसे बात की तो उनका साफ तौर पर कहना था कि नियमानुसार “ईआईए रिपोर्ट बनने के 45 दिनों के भीतर जनसुनवाई संपन्न होना चाहिये क्योंकि भौगोलिक व पर्यावरणीय परिस्थितियां बदलती रहती हैं जबकि इन दोनों मामलों में जनसुनवाई का आयोजन ईआईए रिपोर्ट तैयार होने के लगभग 2 साल बाद करवाया जा रहा है जिससे साफ होता हैं कि प्रशासन की मंशा उक्त दोनों उद्योगों को लाभ पहुंचाने की हैं जो कि एक प्रकार की सुनियोजित धोखाधड़ी का मामला है।”

आगे श्री शर्मा ने पूछने पर यह भी बताया कि इस मामलें में अगर रायगढ़ पुलिस FIR दर्ज नहीं करती हैं तो वे 156/3 के तहत कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे…जहाँ अगर वे इस बात को साबित करने में सफल हो गए तो न सिर्फ उक्त दोनों जनसुनवाई रद्द होगी बल्कि जिला पर्यावरण अधिकारी, जिला कलेक्टर, उद्योग प्रबन्धन व राज्य सचिव, पर्यावरण मंडल के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज हो सकता हैं।
