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भारत-माला से बड़ा है बजरमुड़ा मुआवजा घोटाला ! जांच भी पूरी..लेकिन कार्यवाही कब ? राजस्व विभाग में लंबित है कार्यवाही..दो SDM , चार तहसीलदार समेत कई आरआई व पटवारी जिम्मेदार..

रायगढ़ 11 अप्रैल। भारतमाला सडक़ परियोजना के भू-अर्जन में घपले पर सरकार अब जागी है। एक घोटाले ने राजस्व विभाग की नींद उड़ा दी है जबकि ऐसे कई घपले रायगढ़ हो चुके हैं, जो फाइलों में दफन हैं। भारतमाला से कई गुना बड़ा घोटाला सीएसपीजीसीएल के कोल माइंस के भूअर्जन में हुआ है। बजरमुड़ा गांव में हुए करोड़ों रूपये के घोटाले की जांच भी हो चुकी है, रिपोर्ट मंत्रालय में पड़ी हुई है, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई…! क्योंकि एकसाथ दर्जन भर अधिकारी-कर्मचारी नपेंगे। सरकार ने भारतमाला परियोजनाओं में हुई गड़बड़ी पर 11 जिलों में जांच के आदेश दिए हैं। कोई कार्रवाई होगी इसमें संदेह है क्योंकि जिसकी जांच हो चुकी है, वह मामला भी फाइलों में दबा हुआ है। इसमें सबसे बड़ा घोटाला तमनार के बजरमुड़ा का है।

छग स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर 3 के गांव बजरमुड़ा में भू-अर्जन में जिस तरह का घोटाला किया गया है, उससे राजस्व विभाग भी चुप हो गया है। इतनी ज्यादा गड़बड़ी अब तक किसी भी भूअर्जन में नहीं की गई थी। जांच रिपोर्ट में मुआवजा पत्रक को दोषपूर्ण बताते हुए संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय जांच व अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। राजस्व विभाग दर्जन भर अफसरों और कर्मचारियों ने इसे अंजाम दिया है। असिंचित भूमि को सिंचित बताकर, पेड़ों की संख्या ज्यादा दिखाकर, टिन शेड को पक्का निर्माण बताकर, बरामदे, कुएं, पोल्ट्री फार्म आदि का मनमानी मुआवजा आकलन किया गया।

गणना के समय ही जिस भूमि पर 20 लाख का मुआवजा मिलता, उसमें दो करोड़ का मुआवजा बना दिया गया। परिसंपत्तियों के आकलन में जमकर गड़बड़ी की गई, तत्कालीन एसडीएम अशोक मार्बल ने इसे रोका नहीं। रायगढ़ निवासी दुर्गेश शर्मा की शिकायत पर राज्य सरकार ने जांच टीम बनाई थी। आईएएस रमेश शर्मा की अध्यक्षता में जांच की गई। मिलूपारा, करवाही, खम्हरिया, ढोलनारा और बजरमुड़ा में 449.166 हे. पर लीज स्वीकृत की गई। इसमें लीज क्षेत्र के अंतर्गत 362.719 हे. और बाहर 38.623 हे. भूमि पर सरफेस राइट के तहत भूअर्जन किया गया। जुलाई 2020 को प्रारंभिक सूचना प्रकाशित की गई।

22 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया गया। इसमें केवल बजरमुड़ा के 170 हे. भूमि पर 478.68 करोड़ का मुआवजा पारित किया गया। सीएसपीजीसीएल ने अवॉर्ड राशि पर आपत्ति जताई लेकिन तत्कालीन कलेक्टर ने केवल ब्याज को 32 माह से घटाकर 6 माह का किया। कंपनी को आंशिक राहत मिली जिसमें मुआवजा 415.69 करोड़ हो गया। अन्य चार गांवों में भी इसी तर्ज पर घपला हुआ है।

नई सरकार आने के बाद हुई जांच

बजरमुड़ा घोटाले में जांच के आदेश 15 जून 2023 को दिए गए थे। आदेश में बजरमुड़ा, करवाही और ढोलनारा में जांच करने के लिए आईएएस रमेश शर्मा, अपर कलेक्टर हिना अनिमेष नेताम और संयुक्त कलेक्टर उमाशंकर अग्रवाल की कमेटी बनाई गई थी। जांच टीम ने छह महीने तक कागज तैयार किए। 3 दिसंबर 2023 को राज्य में विधानसभा चुनाव के परिणाम आए, जिसमें सत्तासीन कांग्रेस को भाजपा ने जहीत दर्ज की। 6-8 दिसंबर 2023 तक और 8-9 फरवरी 2024 को जांच की गई। मतलब कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए घपले की जांच भाजपा सरकार में हुई। इसके बावजूद कार्रवाई अभी तक लंबित है।

एक ही जमीन पर फसल और पेड़ों का मुआवजा

सबसे ज्यादा 55 करोड़ रुपए मुआवजा पाने वाले अश्विन पिता लक्ष्मीप्रसाद वगैरह के 19 खसरों के करीब 15 हे.भूमि पर मुआवजे की गणना की गई है। खनं 12/1 रकबा 2.905 हे. में आम पौधे 2671, महुआ पेड़ 12, नीम पेड़ पांच पाए गए। जबकि 300 आम पौधे को वृक्ष की दर से 6000 रुपए की दर से 3.70 करोड़ रुपए दिए गए हैं। मौके पर आम के पेड़ हैं ही नहीं। मौैके पर एक नलकूप पाया गया जिसका उपयोग घरेलू कार्य के लिए हो रहा था। कच्चा कुआं भी नहीं मिला और मकान भी निर्मित नहीं पाया गया। इसी 2.905 हे. भूमि को सिंचित दर से 2.64 करोड़ रुपए का मुआवजा अलग से दिया गया है जबकि इस पर पेड़ों का मुआवजा बनाया गया है। एक ही भूमि पर फसल और वृक्षों का मुआवजा दिया गया। जमीन पर सिंचाई का साधन नहीं था लेकिन भूमि सिंचित दिखाई गई। खनं 106 रकबा 0.866 में केवल दो महुआ के पेड़ मिले लेकिन 1780 आम पौधा का 2.20 करोड़ मुआवजा दिया गया।

खबर स्रोत: दैनिक केलो प्रवाह

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